मुनाफे की फसलों को करने के लिए हम कोई न कोई नकदी फसल को चुन लेते हैं. जिनके आधार पर हम अच्छे मुनाफे का इन्तजार करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ फसलें ऐसी होती हैं जिनको हम अपनी पारम्परिक खेती करते हुए भी कर सकते हैं. जिनके आधार पर हम अपनी पारम्परिक फसल का लाभ तो ले ही सकते हैं साथ ही उसके साथ एक नई फसल का लाभ भी ले सकते हैं.
बरसीम की फसल
बरसीम की फसल का उपयोग हम चारे के रूप में करते हैं. बाजार में नकदी फसल की तरह बिकने वाली यह फसल किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी होने के साथ लाभकारी भी सिद्ध होती है. इसका उपयोग हम बाजार में सीधे तौर पर बेचने से लेकर खुद के पशुओं के लिए भी करते हैं. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसको हम अपनी जरूरी खेती के साथ भी कर सकते हैं.
किस फसल की खेती है बरसीम
बरसीम रबी की फसल है. इस फसल की बुआई हम दलहनी फसलों के साथ कर सकते हैं. बरसीम नवम्बर माह से मई तक 4-6 कटाई देती है. इसकी विभिन्न किस्में बाजार में उपलब्ध हैं. जिनमें कुछ प्रमुख किस्म BL 1, BL 10, BL 42, BL 43, बुन्देल बरसीम आदि हैं.
बीज की मात्रा और बुआई का सही समय
इसमें बीज की मात्रा प्रति एकड़ आठ से दस किलो होती है. बरसीम की बुआई सितम्बर माह के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर माह के पहले सप्ताह तक कर सकते हैं. दलहनी फसलों के साथ इसकी बुआई करने पर इसमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है. इसमें पहला पानी 3-5 दिनों में दिया जाता है.
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इस फसल की बाजार में बहुत मांग रहती है. जिस कारण यह सभी की पसंद बनी रहती है. फलों के साथ उगाने के करण किसान इस फसल का दोगुना लाभ कमाता है.