भारत में रेशम उत्पादन को एक प्रमुख कुटीर उद्योग का दर्जा प्राप्त है. यहां हर किस्म के रेशम का उत्पादन किया जाता है. देश में 60 लाख से भी अधिक लोग कई तरह के रेशम कीट का पालन करते हैं. इस उद्योग में ज्यादा लागत भी नहीं लगानी पड़ती है. यह एक ऐसा उद्योग है, जिसमें रेशम के कीड़ों का पालन करके रेशम उत्पादन करना पड़ता है. इससे काफी अच्छा मुनाफा भी मिलता है. यह कृषि आधारित उद्योग है. अधिकतर लोगों को रेशम के कपड़े बहुत आरामदायक लगते है. यह कपड़ों के सौन्दर्य को बढ़ाते हैं. बता दें कि यह एक प्रकार का महीन चमकीला रेशा होता है, जिससे कपड़ों को बुना जाता है. इसको तंतु कोश में रहने वाले कीड़े से तैयार किया जाता है. रेशम के उत्पादन के लिए रेशम के कीटों का पालन करना होता है. इससे सेरीकल्चर या रेशम कीट पालन कहा जाता है.
रेशम की खेती के प्रकार
-
एरी या अरंडी रेशम
-
मूंगा रेशम
-
गैर शहतूती रेशम
-
तसर (कोसा) रेश
-
ओक तसर रेशम
-
शहतूती रेशम
रेशम उद्योग में आवश्यक सामग्रियां
-
तिपाइयां - (ये लकड़ी या बांस की होती है)
-
जाल – ( कपड़े के छोटे-छोटे जाल, जिससे बची पत्तियां तथा कीड़ों के मल को साफ किया जाता है)
-
पत्तियां काटने के लिए चाकू की आवश्यकता होती है.
-
आद्रतामापी की जरुरत.
-
ऊष्मा उत्पादक ए कूलर.
ऐसे करें रेशम उद्योग
इस उद्योग में कई बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है. बता दें कि कीटों को कमरे के अंदर ही पालना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले शहतूत के बैग लगाए जाते हैं. इससे कीटों को खाने के लिए पत्तियां मिलती हैं. ध्यान दें कि कमरों में स्वच्छ हवा और रोशनी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए. इसके साथ ही कमरे में लकड़ी की तिपाईयों के ऊपर ट्रे रखी जाती है, जिसमें इनकी रिपरिंग होती है. ये तिपाइयां चीटियों से बची रहें, इसके लिए पायों के नीचे एक बर्तन में पानी भरकर रख दें. इसके साथ ही कीटों को रोजाना साफ भी करते रहें.
रेशम उद्योग की विशेषताएं
-
यह कृषि आधारित एक कुटीर उद्योग है.
-
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधारता है.
-
इस उद्योग को ग्रामीण क्षेत्र के लोग बहुत कम लागत में आसानी से शुरु कर सकते है.
-
कीड़ों से जल्द ही रेशम उत्पादन मिलने लगता है.
-
इस उद्योग को कृषि समेत अन्य घरेलू कार्यों के साथ आसानी से कर सकते है.
-
इसके द्वारा महिलाएं अपने खाली समय का सदुप्रयोग कर सकती है.
-
सुखोनमुख क्षेत्रों में भी आसानी से शुरू किया जा सकता है.
-
इस उद्योग से बहुत अच्छी आमदनी प्राप्त होती है.
-
कम लागत और समय में ज्यादा आमदनी मिलती है.
ये खबर भी पढ़े :Business Idea: महज़ 5 हजार की लागत से शुरू करें कुल्हड़ बनाने का बिजनेस, होगी 50 हजार रुपए की कमाई