दुनियाभर में सभी मछली किसानों, मछुआरों और मछली पालन से जुड़े अन्य हितधारकों की एकजुटता को प्रदर्शित करने के लिए हर वर्ष 21 नवंबर को विश्व मत्स्य दिवस (World Fisheries Day) मनाया जाता है. बता दें, विश्व मत्स्य दिवस की शुरुआत 1997 में हुई थी. आज वर्ल्ड फिशरीज डे के इस अवसर पर हम आपको कृषि जागरण के इस आर्टिकल में इससे संबंधित कुछ खास बातें आपको बताने जा रहे हैं.
भारत मछली उत्पादन करने वाला दूसरा बड़ा देश
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारत दुनिया में जलीय कृषि के माध्यम से मछली उत्पादन और उत्पादक करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है. मत्स्य पालन भारत की खाद्य सुरक्षा में योगदान देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के अलावा लगभग 28 मिलियन मछआरों और लाखों मछली किसानों को रोजगार प्रदान करता है. बता दें, भारत वैश्विक मछली उत्पादन में 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ विश्व का तीसरा बड़ा मछली उत्पादक, सबसे बड़ा झींगा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा समुद्री खाद्य निर्यातक है.
मत्स्य पालन दिवस का क्या है इतिहास?
आपकी जानकारी के लिए बता दें, पहला विश्व मत्स्य दिवस 21 नवंबर, 2015 को मनाया गया था. इस दिन नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय मछुआरा संगठन (International Fisherman’s organization) का उद्घाटन किया गया था. बता दें, सन् 1997 में वर्ल्ड फिशरीज कंसोर्टियम (World Fisheries consortium) के लिए एक फोरम स्थापित किया गया था, जिसे वर्ल्ड फिशरीज फोरम के नाम से जाना जाता था. इसके तहत, दुनिया भर के कई प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया था.
2024 – 25 तक रखा गया लक्ष्य
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अनुसार, इस योजना में मत्स्य क्षेत्र में पहली बार, सरकार ने 2019-20 के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों को पुरस्कार दिया था. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लक्ष्य 2024-25 तक 22 मिलियन मीट्रिक टन मछली उत्पादन प्राप्त करना है.
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भारत सरकार देश में नीली क्रांती के माध्यम से इस क्षेत्र को बदलने और आर्थिक क्रांति की शुरुआत करने में आगे है. यह क्षेत्र भारत में 3 करोड़ मछुआरों और मत्स्य पालन को स्थायी आय और आजीविका प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.