हमारे देश में बसंत पंचमी (Basant panchami) का पर्व बहुत धूमधाम से मनाते हैं. यह दिन किसानों के लिए बहुत खास होता है. इस अवसर पर सरसों के खेत लहलहा उठते हैं, तो वहीं चना, जौ, ज्वार और गेहूं की बालियां खिलने लगती हैं. सारे पेड़-पौधों में नए फल-फूल आने लगते हैं.
इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है. वैसे हमारे देश में 6 ऋतुएं हैं, लेकिन बसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है. यह मौसम काफी सुहावना होता है.
सभी जानते हैं कि इस दिन विद्या की देवी सरस्वती और प्रेम के देवता काम देव की पूजा होती है. इसके अलावा कई जगहों पर पतंगबाजी भी की जाती है. इस मौसम की अपनी कई विशेषताएं हैं, जैसे सावन का नाम सुनते ही हरियाली की तस्वीर उभरती है, वैसे ही बसंत का नाम आने पर खिले पीले-पीले फूलों की तस्वीर दिखाई देती है.
किसानों के लिए बसंत पंचमी का महत्व (Importance of Basant Panchami for farmers)
बसंत में किसान कई तरह की फसलों की खेती करता है. इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन होता है, जिसका किसानों के जीवन में एक विशेष महत्व है.
किसान बसंत के मौसम में गन्ना, मक्का, फूल और कई सब्जियों को उगाता है. सर्दियों के मौसम के बाद प्रकृति की छटा देखते ही बनती है. पलाश के लाल फूल, आम के पेड़ों पर आए बौर, हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को और सुहाना बना देते हैं. इस ऋतु को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.
बसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा (Worship of Goddess Saraswati on Basant Panchami)
सरस्वती देवी को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणा वादनी और वाग्देवी समेत कई नामों से पूजा जाता है, जो विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं. ब्रह्मा ने देवी सरस्वती की उत्पत्ती बसंत पंचमी के दिन ही की थी, इसलिए बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है.
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बसंत पंचमी पर कामदेव की पूजा (Worship of Cupid on Basant Panchami)
इस दिन कुछ लोग कामदेव की पूजा भी करते हैं. कहा जाता है कि बसंत कामदेव के मित्र हैं, इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है. जब कामदेव कमान से तीर छोड़ते हैं, तो उसकी आवाज नहीं होती है.
इनके बाणों का कोई कवच नहीं होता है. इस ऋतु को प्रेम की ऋतु कहा जाता है, इसलिए बसंत पंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा होती है.