मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 22 November, 2018 6:43 PM IST
Doubled farming

कहावत आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं जिसका सम्बन्ध किसी न किसी पौराणिक कहानी से जुड़ा हुआ होता है. कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं. कहावतें प्रायः सांकेतिक रूप में होती हैं. थोड़े शब्दों में कहा जाये तो "जीवन के दीर्घकाल के अनुभवों को छोटे वाक्य में कहना ही कहावतें होती हैं" ऐसी ही एक कहावत  है जो आज के वैज्ञानिक भी लोहा मान रहे है.

गोबर, मैला, नीम की खली, इनसे खेती दूनी फली।

जेकरे खेत पड़ा नहीं गोबर, उस किसान को जानो दूबर।

गोबर, मैला, पाती सड़े, तब खेती में दाना पड़े।

खादी, घूरा न टरे, कर्म लिखा टर जाए।

उक्त पकितियों में कहा गया है की जिस किसान के खेत में गोबर, मैला और नीम की खली पड़ती है उसकी खेत की पैदावार दो गुना हो जाती है. पक्ति की दूसरी लाइन में बताया गया कि जिसके खेत में गोबर नीम की खली नहीं पड़ती है उसे गरीब या दरिद्र माना जाता है. जिस किसान के खेत में गोबर, मैला और पत्तियां सड़ती हैं, तब खेतों में दाना पड़ता है. खेत में लगे खाद के कूरे, खेप या उसके ढेरों के स्थान पर अच्छी पैदावार होने से कोई टाल नहीं सकता है. भले ही ब्रह्मा का लिखा वाक्य टल जाए. जो किसान अपने खेत में गोबर, चोकर, चकवर व अरूसा नहीं छोड़ता उसको अन्न को कौर कहे, भूसा भी नहीं होता है.

इस कहावत का लोहा आज के वैज्ञानिक भी मान रहे है वैज्ञानिको का कहना है की अगर किसान को अपनी किस्मत बदलनी हो गोबर के खाद का इस्तेमाल करे। इससे पैदावार के साथ भूमि की उर्वराशक्ति भी बढ़ती है. पौधों की वृद्धि के लिए 13 तत्वों की जरूरत होती है. इसमें नत्रजन, फास्फोरस, कार्बन, हाईड्रोजन, ऑक्सीजन, पोटॉश, चूना, लोहा, मैग्नीशियम, गंधक, बारेन, जस्ता, मैगनीज शामिल है. इसमें से कार्बन, हाईड्रोजन, ऑक्सीजन तत्वों को छोड़कर सभी भूमि से प्राप्त होती हैं.

वैज्ञानिको का मानना है सभी जैविक खादों में गोबर की खाद सबसे अच्छी होती है. इस खाद में पौधों के लिए सभी आवश्यक पोषक उपस्थित होते है. गोबर से पौध का बढ़वार व रोग लगने की संभावना बिल्कुल नहीं होती है. खेत में नमी बरकरार रहती है, जबकि रासायनिक खाद एक विशेष पोषक तत्व के लिए होती है. इसके प्रयोग से भूमि की संरचना प्रभावित होती है.

डॉ. एमवी सिंह, कृषि वैज्ञानिक

प्रस्तुति - प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण

English Summary: Dung, muddy and Neem khali, they have doubled farming
Published on: 22 November 2018, 06:47 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now