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Updated on: 22 November, 2018 6:43 PM IST
Doubled farming

कहावत आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं जिसका सम्बन्ध किसी न किसी पौराणिक कहानी से जुड़ा हुआ होता है. कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं. कहावतें प्रायः सांकेतिक रूप में होती हैं. थोड़े शब्दों में कहा जाये तो "जीवन के दीर्घकाल के अनुभवों को छोटे वाक्य में कहना ही कहावतें होती हैं" ऐसी ही एक कहावत  है जो आज के वैज्ञानिक भी लोहा मान रहे है.

गोबर, मैला, नीम की खली, इनसे खेती दूनी फली।

जेकरे खेत पड़ा नहीं गोबर, उस किसान को जानो दूबर।

गोबर, मैला, पाती सड़े, तब खेती में दाना पड़े।

खादी, घूरा न टरे, कर्म लिखा टर जाए।

उक्त पकितियों में कहा गया है की जिस किसान के खेत में गोबर, मैला और नीम की खली पड़ती है उसकी खेत की पैदावार दो गुना हो जाती है. पक्ति की दूसरी लाइन में बताया गया कि जिसके खेत में गोबर नीम की खली नहीं पड़ती है उसे गरीब या दरिद्र माना जाता है. जिस किसान के खेत में गोबर, मैला और पत्तियां सड़ती हैं, तब खेतों में दाना पड़ता है. खेत में लगे खाद के कूरे, खेप या उसके ढेरों के स्थान पर अच्छी पैदावार होने से कोई टाल नहीं सकता है. भले ही ब्रह्मा का लिखा वाक्य टल जाए. जो किसान अपने खेत में गोबर, चोकर, चकवर व अरूसा नहीं छोड़ता उसको अन्न को कौर कहे, भूसा भी नहीं होता है.

इस कहावत का लोहा आज के वैज्ञानिक भी मान रहे है वैज्ञानिको का कहना है की अगर किसान को अपनी किस्मत बदलनी हो गोबर के खाद का इस्तेमाल करे। इससे पैदावार के साथ भूमि की उर्वराशक्ति भी बढ़ती है. पौधों की वृद्धि के लिए 13 तत्वों की जरूरत होती है. इसमें नत्रजन, फास्फोरस, कार्बन, हाईड्रोजन, ऑक्सीजन, पोटॉश, चूना, लोहा, मैग्नीशियम, गंधक, बारेन, जस्ता, मैगनीज शामिल है. इसमें से कार्बन, हाईड्रोजन, ऑक्सीजन तत्वों को छोड़कर सभी भूमि से प्राप्त होती हैं.

वैज्ञानिको का मानना है सभी जैविक खादों में गोबर की खाद सबसे अच्छी होती है. इस खाद में पौधों के लिए सभी आवश्यक पोषक उपस्थित होते है. गोबर से पौध का बढ़वार व रोग लगने की संभावना बिल्कुल नहीं होती है. खेत में नमी बरकरार रहती है, जबकि रासायनिक खाद एक विशेष पोषक तत्व के लिए होती है. इसके प्रयोग से भूमि की संरचना प्रभावित होती है.

डॉ. एमवी सिंह, कृषि वैज्ञानिक

प्रस्तुति - प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण

English Summary: Dung, muddy and Neem khali, they have doubled farming
Published on: 22 November 2018, 06:47 PM IST

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