भारतीय राजनीति में कई बड़े किसान नेता हुए लेकिन चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत की धाक सबसे अलग और बेजोड़ थी. वे भारत के सबसे बड़े किसान नेता माने जाते थे. यही वजह थी कि उनके तेवर से दिल्ली दरबार कांपता था. वह किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से सीधे सवाल पूछने वाले नेता थे. सवाल भी ऐसे होते थे कि सामने वाले को काटों तो खून नहीं निकलता था. तो आइए जानते हैं किसान दिवस पर इस अद्वितीय किसान नेता के बारे में जिसने साल 1988 में दिल्ली सरकार को भी हिला दिया था.
राजीव गांधी सरकार को झुकना पड़ा
भारत में किसान आंदोलन का इतिहास काफी लंबा है. आजादी के पहले यानि साल 1917 के बाद कई किसान आंदोलन हुए. इन किसान आंदोलनों से महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत कई बड़े नेता जुड़े रहे हैं. लेकिन आजादी के बाद 1988 के किसान आंदोलन की खनक सबसे अलग रही. चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनियन के लोगों ने 25 अक्टूबर, 1988 को दिल्ली का कूच किया. किसान सिंचाई, बिजली की दरें घटाने और फसल के उचित मूल्य सहित 35 सूत्रीय मांगों को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से दिल्ली पहुंचने वाले थे. तभी किसानों को दिल्ली के लोनी बार्डर पर सरकार द्वारा बल पूर्वक रोकने की कोशिश की गई. इसी दौरान पुलिस फायरिंग में दो किसानों की मौत हो गई. इसके बावजूद किसान लाखों की संख्या में दिल्ली पहुंचे थे. उस समय की राजीव गांधी सरकार ने पहले तो किसानों को बलपूर्वक दबाना चाहा लेकिन आखिरकार उन्हें किसानों के तेवर देखकर उनसे खुद बात करके उनकी मांगों को मानना पड़ा था.
पीवी नरसिंह राव से दो टूक
चौधरी टिकैत अपने तेवर के साथ अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते थे. वे मंच से भाषण देने के बाद किसानों के बीच बैठकर ही भोजन करते थे. यही बात उन्हें सबसे अलग बनाती थी. जब पीवी नरसिंह राव सरकार के समय हर्षद मेहता कांड हुआ था तो टिकैत के तेवर से दिल्ली दरबार में भूकंप आ गया था. दरअसल, चौधरी टिकैत नरसिंह राव से मिलने दिल्ली पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री राव से सीधे पूछ लिया था कि क्या आपने हर्षद मेहता से एक करोड़ रूपया लिया था? टिकैत का सवाल सुनकर राव साहब भी सन्न रह गए. तब जवाब में राव साहब ने कहा कि चौधरी साहब क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं. उस समय टिकैत मुलायम सिंह सरकार की ज्यादती का मसला लेकर राव साहब से मिलने पहुंचे थे. तब उन्होंने हर्षद मेहता का नाम लेकर पूछ लिया था कि वह 5,000 करोड़ का घपला करके बैठा है, वहीं कई मंत्री घपला कर रहे हैं. सरकार उनसे तो वसूली नहीं कर पा रही है और किसानों को 200 रूपये की वसूली के लिए जेल भेजा जा रहा है.
कहां हुआ जन्म
चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत का जन्म 1935 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर के सिसौली गांव में हुआ था. 27 जनवरी 1987 को उनके नेतृत्व में बिजली के स्थानीय मुद्दे को लेकर मेरठ कमिश्नर कार्यालय का 24 दिनों तक घेराव किया गया था. इस आंदोलन से वे चर्चा में आ गए थे. टिकैत साहब को हुक्का पीना बेहद पसंद था. वे भाषण के बाद किसानों के बीच आकर हुक्का पीने बैठ जाते थे. 15 जनवरी 2011 को किसानों का यह मसीहा 76 साल की उम्र में इस दुनिया को छोड़कर चला गया.