जी हाँ, हम अपने एक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ रातुल के ओरिजिन की वजह से भी विवाद में उलझे हैं I कश्मीर के अलावा भी पाकिस्तान के साथ एक खास किस्म के आम पर भी विवाद अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है I लखनऊ के शायर सुहैल काकोरवी ने तो आम पर शायरी की पूरी किताब ही 'आमनामा' लिख दी, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया.
आम पूरी तरह भारतीय मूल का है. कहा जाता है कि चौथी-पांचवी सदी में बौद्ध धर्म प्रचारकों के साथ भारत से आम मलेशिया और पूर्वी एशिया के देशों तक पहुंचा. पारसी लोग 10वीं सदी में इसे पूर्वी अफ्रीका ले गए. पुर्तगाली 16वीं सदी में इसे ब्राजील ले गए, वहां से यह वेस्टइंडीज और मैक्सिको पहुंच गया. अमेरिका आम के मामले में पिछड़ा हुआ है.
चौसा आम बाज़ार में आधी जुलाई बीत जाने के बाद आता है जब बाकी आमों की आवक कम हो जाती है. इस आम की खासियत है इसका रेशारहित गूदा और मिठास. ऐसा कहते हैं कि 1539 में बिहार के चौसा में शेरशाह सूरी ने हुमायूं से युद्ध जीतने के बाद इसे चौसा नाम दिया था. वैसे इसकी उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले में हुई थी. सुनने में तो ये भी आता है कि मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब के लिए भी यही आम सबसे खास था.
वहां आम वर्ष 1861 में पहली बार उगाया गया. भारत आज भी आम की पैदावार सबसे ज्यादा है. भारत के बाद क्रमश: चीन, मैक्सिको, थाइलैंड और पाकिस्तान का नाम आता है. यूरोप में सबसे अधिक आम स्पेन में होता है, जिसका आम तीखी खुशबू लिए होता है.
वर्ष 1981 से अब तक रातुल आम के इस विवाद को अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है. इस अनोखे आम की वैराइटी पर भारत और पाकिस्तान दोनों अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. रातुल आम पाकिस्तान में इतना लोकप्रिय हुआ कि उसके नाम से पाकिस्तान में पोस्टल स्टैंप तक जारी कर दिए गए.बागपत का रतौल आम काफी लोकप्रिय है, जिसकी उत्पत्ति वहां के रतौल गांव से मानी जाती है. कहा जाता है कि पाकिस्तान में यह आम खूब उगाया और खाया जाता है, लेकिन पाकिस्तान यह मानने को तैयार नहीं होता कि यह मूल रूप से हिंदुस्तान का आम है.
इस बात का पता तब चला, जब 1981 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पाकिस्तान के खास आम बताकर आम भेंट किए. इंदिरा गांधी को आम बहुत पसंद आए. उन्होंने आमों की बड़ी तारीफ की. यह खबर फैलने के बाद बागपत जिले के रतौल गांव के लोगों ने इंदिरा से मुलाकात कर उन्हें बताया कि यह आम उनके गांव का है. बंटवारे में उनके पिता के बड़े भाई पाकिस्तान जाते वक्त रतौल आम की किस्म भी साथ ले गए थे, जिसे उन्होंने मुल्तान में उगाया. लेकिन यह बात पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं होता कि रतौल आम भारत का है.
ये खबर भी पढ़े: मधुमक्खियों का ऐसा दोस्त, जिसने 60 हजार मक्खियों को मुंह पर चिपका बनाया रिकॉर्ड