वैसे तो हमने कई अजूबों के बारे में सुना और देखा होगा, लेकिन क्या कभी अपने 8 करोड़ का टमाटर (8 Crore Rupees Tomato) देखा है? शायद नहीं देखा होगा, इसलिए आज हम आपको एक ऐसी ही ख़बर बताने जा रहे हैं, जहां मुख्यमंत्री भी अपने कदम नहीं रोक पाए और 8 करोड़ का टमाटर उगाने वाले किसान का इंटरव्यू लेने निकल पड़े. तो आइये जानते है क्या है इस टमाटर की खासियत जिसको देखने के लिए लगातार फरमान आ रहे हैं.
किसान ने कैसे बेचे 8 के टमाटर (How did the farmer sell 8 tomatoes)
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के एक किसान ने इस साल 8 करोड़ के टमाटर (8 Crore Tomato) बेचने का दावा किया है. जिसके चलते राज्य के कृषि मंत्री ने उनके घर का दौरा भी किया है. बता दें कि मधुसूदन धाकड़ (Farmer Madhusudan Dhakad) 14 साल से खेती कर रहे हैं और उन्होंने खेती के तरीके में बदलाव कर के यह मुकाम हासिल किया है. वहीं दूसरी ओर राज्य भर के कई जिलों में किसान कम कीमत के कारण टमाटर को सड़क पर डंप कर रहे हैं.
बता दें कि किसान मधुसूदन धाकड़ का साक्षात्कार करने के लिए राज्य कृषि मंत्री कमल पटेल (Agriculture Minister Kamal Patel) हरदा जिले के सिरकंबा गांव पहुंचे गए. जहां उन्होंने इस किसान से इस टमाटर के बारे में हर एक जानकारी का पता लगाया.
मधुसूदन धाकड़ कहते हैं कि उन्होंने अपनी 60 एकड़ जमीन में मिर्च, 70 एकड़ में टमाटर और 30 एकड़ में अदरक लगाया है. वहीं उन्होंने गेहूं और सोयाबीन जैसी पारंपरिक फसलों को उगाना छोड़ दिया है.
खास बात यह है कि 70 एकड़ में टमाटर उगाने पर उन्हें 8 करोड़ तक एक मुनाफा हुआ है. जिसके चलते कृषि मंत्री अपने कदम ना रोक पाएं और उनका साक्षात्कार करने उनके घर पहुंच गए.
किसानों को क्यों फेंकने पड़ रहे हैं टमाटर (Why farmers have to throw tomatoes)
किसान के साथ मंत्री का साक्षात्कार सुर्खियों में तो आया, लेकिन टमाटर की कीमतों में गिरावट (Tomato prices fall) आने की वजह से अन्य जिलों के किसान इतने भाग्यशाली नहीं रहे.
वहीं कुछ किसानों का कहना है कि "निर्यात अवरुद्ध है इसलिए कीमतें नीचे हैं. हमें 20% कीमत भी नहीं मिल रही है, जिससे भारी नुकसान हो रहा है. हमने टमाटर 600-700 रुपये प्रति कैरेट के हिसाब से बेचा है. आज 80-90 रुपये प्रति कैरेट मिल रहा है. हम 2 साल से घाटे में हैं और कम दाम मिलने से परेशान हैं". बता दें कि कुछ किसानों से इस परेशानी के चलते टमाटर को सड़कों पर फेंक दिया है.
पपीतों का भी है बुरा हाल (Papayas are also in bad condition)
टमाटर ही नहीं, पपीता भी 3 से 4 रुपये किलो बिक रहा है. इस पर किसानों का कहना है कि "लाभ भूल जाओ, लागत भी नहीं वसूल कर पा रहे हैं". खरगोन के किसानों ने कहा कि ”उत्पादन अच्छा है, लेकिन हमें 4-5 रुपये प्रति किलो मिल रहा है, हम निर्यात नहीं कर सकते है. हमारे लिए यह एक बड़ा नुकसान भरा सौधा है और तो और इनपुट लागत भी नहीं मिल पा रही है".
आपकी जानकरी के लिए बता दें कि खरगोन में 2016 में 127 करोड़ की लागत से एक अत्याधुनिक मेगा फूड पार्क बनाया गया था. लेकिन किसानों का कहना है कि खरगोन के वरिष्ठ बागवानी विकास अधिकारी पीएस बडोले ने कहा, “कोरोनावायरस के कारण हम निर्यात करने में असमर्थ हैं. इसलिए किसानों को मनचाहा मूल्य नहीं मिल रहा है.''
भंडारण की नहीं है व्यवस्था (No storage facility)
स्थानीय किसानों ने कहा कि खरगोन में किसान संकट में हैं. उनका कहना है कि "हमारे पास एक फूड पार्क (Food Park) है लेकिन यह हमारे लिए किसी काम का नहीं है." बता दें कि यहां पर समस्या भंडारण की भी है. फलों और सब्जियों के उत्पादन में हर साल छह से आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन आसानी से नष्ट हो जाने वाली इन वस्तुओं के भंडारण की क्षमता में कोई वृद्धि नहीं हुई है.
किसानों को कोल्ड स्टोरेज की है जरुरत (Farmers need cold storage)
मध्य प्रदेश में 10 लाख टन की क्षमता वाले 163 कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) है, लेकिन फलों का उत्पादन 75 लाख टन से अधिक है.
और 31 जिलों में बाहर 52 में से कोई कोल्ड स्टोरेज नहीं है. 2018 में ऑपरेशन ग्रीन योजना (Operation Green Plan) के तहत कोल्ड स्टोरेज के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान है, लेकिन अभी तक राज्य की ओर से 15 प्रस्ताव ही केंद्र को भेजे गए हैं.