मोदी सरकार का लक्ष्य है कि साल 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना किया जाए. इसके लिए सरकार द्वारा कई अहम काम भी किए गए हैं. अगर देखा जाए, तो केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के लिए एक से बढ़कर एक योजनाएं लागू की गई हैं, लेकिन फिर भी कई विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों के लिए इतना काफी नहीं है. आइए आपको बताते हैं कि मोदी सरकार ने 30 मई 2019 से अब तक खेती और किसानों के लिए क्या अहम फैसले लिए हैं.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
इस योजना की शुरुआत साल 2019 में की गई थी. इसके तहत सरकार किसानों को सालाना 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद पहुंचाती है. यह राशि 3 किश्तों में भेजी जाती है. इस योजना का लाभ पहले सिर्फ 2 हेक्टेयर भूमि रखने वाले किसानों को दिया जाता था, लेकिन जब मोदी सरकार एक बार फिर सत्ता में आई, तो योजना के नियमों में बदलाव किया गया. अब इस योजना का लाभ सभी किसानों उठा सकते हैं.
आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव
कोविड-19 और लॉकडाउन का खेती और किसानों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. इसके चलते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 15 मई को कृषि उपज को नियंत्रणमुक्त करने का फैसला लिया. इसमें के तहत अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, आलू और प्याज जैसी उपज शामिल हैं. इसका मतलब है कि इन कृषि उपज के बाजार भाव में सरकार हस्तपक्षेप नहीं करेगी. बता दें कि एक दौर में हमारा देश अनाज की कमी से जूझ रहा था, इस कानून को तब बनाया गया था. इस कानून के तहत जिन वस्तुओं को शमिल किया जाता है, उनके उत्पादन, बिक्री, दाम, आपूर्ति और वितरण को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है. वैसे आवश्यक वस्तु अधिनियम में तय सीमा से ज्याद स्टॉक नहीं रख सकते हैं. इस कानून में बदलाव होने से खेती में प्राइवेट कंपनियों की स्थापना बढ़नी की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना
केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को 12 सितंबर 2019 को लागू किया गया. इसके तहत किसानों को पेंशन उपलब्ध कराई जाती है. सरकार का मानना है कि जब बुढ़ापे में किसानों के पास आजीविका का कोई साधन नहीं होगा, तब यह योजना उनके आजीविका का साधान बनेगी. बता दें कि इस योजना के तहत हर माह 3 हजार रुपए की पेंशन दी जाती है. इसके लिए किसान को हर माह बस 55 से 200 रुपए की प्रीमियम राशि भरनी होती है. इसका लाभ 18 से 40 साल का किसान उठा सकता है.
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फसल बेचने के लिए कानून
अक्सर किसान अपनी उपज का सही मूल्य न मिलने से परेशान रहा करते हैं, इसलिए सरकार द्वारा एक कानून बनाने का फैसला लिया गया है. इस कानून से किसानों की इस समस्या का समाधान हो पाएगा. बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 15 मई को इसकी जानकारी भी दी है. उनका कहना है कि इस कानून के आने के बाद किसान अपनी उपज को बाहरी राज्यों की मंडियों में भी बेच पाएंगे. बता दें अभी सिर्फ लाइसेंस वाले व्यापारियों को बाहर उपज बेचने का अधिकार दिया जाता है. इस कानून के आ जाने से बिचौलिए की समस्या भी खत्म हो जाएगी, साथ ही किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल पाएगा.
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