इन दिनों उर्वरक की काफी किल्लत चल रही है, जिससे किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. देश के कई राज्य ऐसे हैं, जहां खाद की किल्लत की वजह से रबी फसलों की बुवाई में दिक्कत आ रही है.
इस समस्या से झारखंड भी अछूता नहीं है. यहाँ पर भी उर्वरक की किल्लत देखने को मिल रही है. बता दें कि डीपीए और एनपीकेएस की आपूर्ति सप्लाई प्लान के अनुरूप नहीं हो रही है. इस वजह से इसकी भारी कमी महसूस की जा रही है. वहीं, यूरिया की आपूर्ति भी आवंटन के सापेक्ष कुछ हद तक सामान्य है. इसके चलते अब सभी निगाहें नवंबर की सप्लाई पर टिकी है.
खरीफ सीजन में किया उर्वरक की कमी का सामना
खरीफ सीजन की बात करें, तो झारखंड के किसानों ने इस दौरान भी उर्वरक की कमी का सामना किया था. इस बार रबी में भी हालात कुछ वैसे ही बन गए हैं. हालांकि राहत की बात यह है कि खरीफ के सापेक्ष रबी का उत्पाद एक तिहाई ही होता है. इसके बावजूद नवंबर में हालात सामान्य नहीं हुए, तो कुछ हद तक फसल के उत्पादन पर असर पड़ सकता है.
तय कोटे से कम उर्वरक की आपूर्ति
इसके साथ ही रबी के लिए तय कोटे से कम उर्वरक की आपूर्ति की गई है. वहीं, डीएपी के अलावा एनपीकेएस की आपूर्ति की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. कृषि विभाग का कहना है कि नवंबर के अंत तक स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है. इसके अलावा अक्टूबर में लगभग 17944 टन यूरिया की आपूर्ति हुई थी, जबकि डीएपी की आपूर्ति महज 50 टन थी. इसके अलावा एनपीकेएस की आपूर्ति तय आवंटन 9800 के सापेक्ष 650 टन ही हुई.
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कृषि विभाग की रिपोर्ट बताती है कि 8 नवंबर से अब तक 573 टन यूरिया, 980 टन डीएपी और 1231 टन एनपीकेएस की आपूर्ति उर्वरक कंपनियों ने की है. बता दें कि केंद्र सरकार की सहमति पर ही उर्वरक का आवंटन होता है, लेकिन सप्लाई कंपनियों द्वारा की जाती है. वैसे यूरिया की सप्लाई को लेकर इफको, मैट्रिक्स और एनफएल जैसी कंपनियों की सप्लाई सही है. मगर डीएपी को लेकर कुछ परेशानी हो रही है.
अब तक उर्वरक की आवंटन और आपूर्ति की स्थिति
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यूरिया 35350 18517 52.38
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डीएपी 8700 1030 11.83
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एनपीकेएस 14500 1881 12.92