केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज पूसा, दिल्ली स्थित सुब्रमण्यम सभागार में आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) संस्थानों के निदेशकों और देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के वार्षिक सम्मेलन का शुभारंभ किया. इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, सभी उप महानिदेशक, सहायक महानिदेशक, एवं कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
इस अवसर पर मंत्री चौहान ने आईसीएआर को कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार का मंदिर बताते हुए कहा, "अगर यह भवन मंदिर है तो इसका भगवान किसान है और हम सभी उसके पुजारी हैं." उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और कृषि विश्वविद्यालयों की मेहनत और समर्पण की बदौलत देश ने खाद्य सुरक्षा की दिशा में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं.
किसानों के लिए सरकार की प्राथमिकता
चौहान ने कहा कि सरकार का मंत्र है कि हर नागरिक को दिन में दो बार भरपेट पोषणयुक्त भोजन मिले. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि एक समय देश को अमेरिका से PL-480 के तहत निम्न गुणवत्ता वाला गेहूं आयात करना पड़ता था, लेकिन आज भारत 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त अनाज दे रहा है. यह परिवर्तन कृषि वैज्ञानिकों, किसानों और सरकार की संयुक्त मेहनत का नतीजा है.
विकसित कृषि और समृद्ध किसान
सम्मेलन में अपने उद्बोधन में चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'विकसित भारत' के विज़न का उल्लेख करते हुए कहा, "यह मेरे लिए एक मंत्र है. अगर भारत को विकसित बनाना है तो हमें विकसित कृषि और समृद्ध किसान की दिशा में काम करना होगा." उन्होंने बताया कि वे 25 और 26 मई को पदयात्रा करेंगे ताकि आम लोगों से सीधा संवाद किया जा सके. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य है भारत को 'फूड बास्केट ऑफ द वर्ल्ड' बनाना, साथ ही किसानों की आय और जीवन स्तर को बेहतर करना.
एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम
केंद्रीय मंत्री ने कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए छह प्रमुख बिंदुओं पर काम करने की रणनीति साझा की:
- उत्पादन बढ़ाना
- प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में वृद्धि
- उत्पादन लागत में कमी
- फसलों के लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना
- फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना
प्राकृतिक खेती और कृषि का विविधीकरण
उन्होंने कहा कि अब जरूरी है कि अनुसंधान प्रयोगशालाओं से निकलकर खेतों तक पहुंचे. "अगर लैब में शोध हो और लैंड में उसका असर न दिखे, तो उसका कोई लाभ नहीं." चौहान ने कहा कि अनुसंधान की दिशा खेत और किसान तय करेंगे, और इसी खरीफ सीजन से परिणाम दिखने चाहिए.
कृषि शिक्षा हो व्यावहारिक, स्टार्टअप से हो जुड़ाव
कृषि शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने पूछा कि कृषि की पढ़ाई करने वाले कितने छात्र आज एग्रो स्टार्टअप्स में जुड़े हैं? उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को इस बात का मूल्यांकन करना चाहिए कि उनकी शिक्षा कितनी व्यावहारिक और परिणाममूलक है. साथ ही उन्होंने सभी कृषि विश्वविद्यालयों को मोबाइल ऐप्स और हेल्पलाइन शुरू करने की सलाह दी जिससे किसान सीधे संपर्क कर सकें.
धरती कैसे बचे अगली पीढ़ियों के लिए?
मंत्री चौहान ने चिंता जताई कि आज के कृषि तरीकों, विशेषकर कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के अनियंत्रित प्रयोग से मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है. उन्होंने सभी वैज्ञानिकों, विश्वविद्यालयों और केंद्र व राज्य सरकारों से अपील की कि वे एकजुट होकर धरती के संरक्षण के लिए काम करें.
आधुनिक और परंपरागत ज्ञान का समन्वय आवश्यक
कृषि मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान और किसानों के पारंपरिक अनुभव का समावेश करना होगा. उन्होंने कहा, "कई बार किसान व्यावहारिक रूप से ज्यादा जानता है. इसलिए हमें दोनों तरह के ज्ञान का संगम बनाना चाहिए." उन्होंने सभी वाइस चांसलर्स से आग्रह किया कि वे दो-तीन बेस्ट प्रैक्टिस साझा करें ताकि देशभर के विश्वविद्यालयों में सकारात्मक प्रतिस्पर्धा का माहौल बने और निरंतर सुधार होता रहे.
हमारा रिपोर्ट कार्ड तैयार हो
सम्मेलन के अंत में चौहान ने सभी अधिकारियों से कहा कि वे इस सम्मेलन के बाद ठोस कार्य योजना बनाएं और अगली बैठक में रिपोर्ट कार्ड के साथ आएं. उन्होंने कहा, "केवल बैठक करके हम संतुष्ट न हों, बल्कि तय किए गए लक्ष्यों को हासिल कर दिखाएं."