छत्तीसगढ़ के कोरबा के जंगलों में विज्ञान विशेषज्ञों की टीम ने एक खास पौधे दहीमन की खोज की है, उन्हें मिले दहीमन के पौधे की विशेषता इसकी छाल से मिलने वाले ईथेनालिक एक्सट्रैक्ट होती है. यह पौधा इसीलिए भी बेहद ही खास है क्योंकि इसके अंदर एंटीफंगल एंटीमाइक्रोबियल और एंटी कैंसर तत्व पाए जाते है.
दहीमन की खोज के लिए घने जंगलों से होते हुए प्राणीशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र एवं फॉरेस्ट्री समेत विज्ञान के विभिन्न विभागों के वैज्ञानिकों ने एक पैदल लंबी यात्रा की है. उन्होंने दहीमन की विशेषता समेत कई चीजों पर रिसर्च किया है और छाल से मिलने वाले ईथेनालिक एक्सट्रैक्ट होती है.
कोबरा सर्प की प्रजाति है खास (The species of cobra snake is special)
आज दहीमन के इस पौधे की छाल में मौजूद ईथेनालिक एक्सट्रैक्ट में से नाजा यानी कोबरा प्रजाति के सर्पो के विष के लिए एंटी वेनम बनाने पर अभी शोध कार्य चल रहा है. दहीमन का पौधा चोट को सुखाने के अलावा सर्पदंश और नशे को उतारने में भी कारगार है.
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि जिस घर पर शराब बन रही होती है तो उसकी डाल पर अगर छप्पर डाल दी जाए तो शराब नहीं पकती है. दहीपलाश नाम के इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम कार्डिया मेकलियाडी है, एंटी एलरगेसिक, एंटी वेनम, एंटी ऑक्साइड और एंटी माइक्रो बैक्टीरियल गुणों से भरपूर है, इसके पेड़ की पत्तियां, छाल, जड़ का उपयोग कई तरह की बीमारियों से बेहतर है.
60 औषधीय पौधों की पहचान (Identification of 60 medicinal plants)
खोज यात्रा में शामिल रहे दल के सदस्यों में कॉलेज में और अफसरों के पीजी कॉलेज के 80 छात्र-छात्राएं भी शामिल है, सभी वैज्ञानिकों ने अपने दल और विभाग के लोगों के साथ औषधीय खोज यात्रा को शुरू किया है. यहां औषधीय पौधों की खोज यात्रा के दौरान लगभग 60 औषधीय पौधों की अहम पहचान की गई है साथ ही उनकी उपयोगिता समेत अन्य विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त की है.
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यात्रा के दौरान विशेषज्ञों की टीम को विभिन्न प्रकार के कीट और तितलियों के अंडे, कैटरपिलर, कुछ सर्प जिनमें से विशेषता वाले स्नेक और मेंढकों की प्रजातियां खोज यात्रा के दौरान दिखी.