भारत में किसानों का वर्ग एक बहुत बड़ा वर्ग है, लेकिन ज़्यादातर किसान छोटे और कम ज़मीन वाले किसान हैं इसलिए उनकी आय कम होने के कारण उन्हें खेती करने के लिए कर्ज़ लेना पड़ता है और यह कर्ज़ कभी वो बड़े- बड़े व्यापरियों से लेते हैं तो कभी 'किसान क्रेडिट कार्ड' के ज़रिए बैंकों से लेते हैं.
लेकिन आज के इस लेख में हम आपको एक सकारात्मक ख़बर बताने जा रहे हैं जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों से गांवों में लोगों की आमदनी बढ़ाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारकों को आसानी से कर्ज देने के लिए कहा है.
किसान क्रेडिट कार्ड क्या है(What is kisan credit card)
देश के किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने की एक कोशिश भारत सरकार ने 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना की शुरुआत करके की थी. जिसे PM किसान क्रेडिट कार्ड योजना के नाम से भी जाना जाता है. इस योजना के अंतर्गत किसानों को आसानी से और कम ब्याज़ दर पर लोन मुहैया कराया जाता है. कुछ समय पहले इस योजना में सुधार करके पारंपरिक कृषि क्षेत्र के अलावा मछली पालन और पशु पालन जैसे क्षेत्रों को भी जोड़ दिया गया है. इस योजना में किसानों को औसतन 4 प्रतिशत ब्याज दर से 2 प्रतिशत तक की ब्याज दर पर लोन मिल जाता है.
वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना का जायजा लिया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पब्लिक सेक्टर बैंकों के मुख्य अधिकारियों जैसे CEO के साथ के एक बैठक की यह बैठक लंबे समय तक चली. इस बैठक में उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की बैंकों को तकनीकी रूप से उन्नत बनाने की बात कही और पब्लिक सेक्टर बैंकों के बड़े अधिकारीयों से इस पहल में मदद करने को भी कहा. जानकारी के लिए आपको बता दें कि बैठक के बाद मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि फाइनेंस मिनिस्टर ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना (KCC Yojana) का रिव्यू किया है और इस बात पर विचार किया कि कैसे संस्थागत तरिके से इस क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है.
कृषि क्षेत्र में ग्रामीण बैंक की अहम भूमिका
वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने मीडिया से बात करते हुए कहा, इस बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की और मछलीपालन और पशुपालन के क्षेत्र में लगे सभी लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी करने पर चर्चा की गई.' उन्होंने कहा, 'एक अन्य सत्र में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर यह निर्णय किया गया कि प्रायोजक बैंकों को उन्हें डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी सुधार में मदद करनी चाहिए.'
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की कृषि ऋण में महत्वपूर्ण भूमिका है. इसके प्रायोजक बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) और राज्य सरकारें हैं.