यूं तो कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने की दिशा में केंद्र सरकार की हर कोशिश जारी रहती है, लेकिन इस रिपोर्ट में हम आपको उस खबर के बारे में पूरे तफसील से बताने जा रहे हैं, जिसमें इस बात को लेकर चर्चा अपने चरम पर है कि आने वाले कुछ दिनों में उन 27 कीटनाशकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाई जा सकती है, जो पहले से ही कई देशों में प्रतिबंधित हैं. इस बात की जानकारी खुद केंद्रीय कृषि मंत्री ने संसद में शशि थरूर द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया. उन्होंने कहा कि इन कीटनाशकों को प्रतिबंध करने के लिए अभी लोगों के सुझाव को संग्रहित किया गया है. यह इसलिए किया गया है, ताकि एक बार कोई भी फैसला लेने से पूर्व किसान भाइयों व अन्य विशेषज्ञों की राय ले ली जाए, ताकि किसी भी स्थिति पर पहुंचने से पहले एक बार विचार कर लिया जाए.
इन कीटनाशकों पर लग सकता है प्रतिबंध
बता दें कि जिन कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. वो मुख्यत: इस प्रकार हैं- डियूरॉन, मालाथियॉन, ऐसफेट, मिथोमिल, मोनोक्रोटोफॉस,अल्ट्राजाइन, बेनफराकारब, बुटाक्लोर, कैप्टन, कारबेडेंजिम, कार्बोफ्यूरान, क्लोरप्यरिफॉस, थीओडीकर्ब, थायोफनेट मिथाइल, 2.4-डी, डेल्टामेथ्रीन, डिकोफॉल, डिमेथोट, डाइनोकैप, मैनकोजेब, ऑक्सीफ्लोरीन, पेंडिमेथलिन, क्यूनलफॉस, सलफोसूलफूरोन, थीरम, जीनेब व जीरम शामिल है.
आखिर ऐसा क्या सवाल पूछा था थरूर ने?
बेशक, आपके जेहन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर थरूर ने ऐसा क्या सवाल पूछा लिया था, जिसके जवाब के लिए उन्हें कीटनाशकों के प्रतिबंध का मसला उठाना पर गया, तो यहां हम आपको बताते चले कि शशि थरूर ने नरेंद्र सिंह तोमर से यह जानना चाहा था कि क्या सरकार उन सभी कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, जो पहले से ही कई देशों में प्रतिबंधित हैं. वहीं, अपने जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि देखिए, इस पर अभी विचार विमर्श किया जा रहा है. यह मसला अभी विचाराधीन है. किसी भी स्थिति पर पहुंचने से पहले हमने किसान व अन्य विशेषज्ञों से राय मांगी है.
क्यों लगाया जा रहा है इन कीटनाशकों पर प्रतिबंध
संभवत: आपके जेहन में यह सवाल उठ सकता है कि आखिर इन कीटनाशकों को भला प्रतिबंधित करने के लिए सरकार क्यों आतुर हो रही है? तो इसका जवाब सीधा है. दरअसल, यह रसायन मानव व जानवरों के लिए हानिकारक बताए गए हैं, जिसके बाद अब इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठ रही है.
इस संदर्भ में विगत 10 मई 2020 को केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक प्रस्ताव भी पारित किया था, लेकिन उन दिनों कोरोना के कहर में मशगूल सरकारी अमले का ध्यान इस ओर नहीं जा पाया, मगर अब यह माना जा रहा है कि सरकार बहुत जल्द ही अपने पूर्ववर्ती प्रस्ताव को जमीन पर उतारने जा रही है.