वैज्ञानिकों ने एक ऐसी किस्म की खोज की है. जिससे आपको खाना खाते ही कोई शुगर नियंत्रित दवा का सेवन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, या फिर गेहूं कि रोटी से भी परहेज नहीं करना पड़ेगा. इससे मधुमेह के मरीजों को काफी राहत मिलेगी और यह उनके लिए वरदान साबित होगी. यह एक ऐसी धीमी पचने वाली स्टार्च की किस्म है जो नाबी के वैज्ञानिकों ने खोजी है.
नेशनल एग्रो फ़ूड बायोटेक्नोलॉजी (नाबी ) (National Agro Food Biotechnology (NABI))
नाबी के वैज्ञानिकों ने इस किस्म को पूरी तरह तैयार कर लिया है. डॉ. जय कुमार और उनकी टीम द्वारा यह परीक्षण 5 साल चला जो की सफल रहा. अब इस किस्म को ज्यादा मात्रा में उगाने की पूरी तैयारी की जा रही है. जिससे लोगों को इस किस्म का आटा जल्दी मिले और लोग इसे अपनाकर अपने शरीर को कुछ हद तक स्वस्थ रख सके.
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आम गेहूं के मुकाबले 99 प्रतिशत स्टार्च (99 percent starch compared to common wheat)
इस किस्म में आम गेहूं के मुकाबले 99 प्रतिशत स्टार्च आसानी से पचाया जा सकता है. क्योंकि स्टार्च मोटापे और मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा नहीं माना जाता. हर उम्र के लोगों को इस से परहेज करना चाहिए. जितना हो सके रात को चावल,चपाती आदि का सेवन बहुत कम मात्रा में करे. क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा स्टार्च होता है. इसको ध्यान में रख कर ही इस किस्म की खोज की गई है. यह स्टार्च रेसिस्टेंट स्टार्च है, जो आसानी से पचाया जा सकता है.
गेहूं की देसी किस्म सी -306 (Desi variety of wheat C-306)
वैज्ञानिकों ने अब देसी किस्म सी -306 पर काम करना शुरू कर दिया. इस किस्म द्वारा बनाई रोटी काफी बेहतर मानी गई है. सबसे पहले उन्होंने बीज को अच्छे से तैयार किया. तो उन्हें इस बीज में रेजिस्टेंस स्टार्च वाली किस्म मिली जो आसानी से पचने में कामयाब है. इसपर उन्होंने कई सुधार किए और 5 साल के लिए रिसर्च करने के लिए इसे वैलिडेट कर दिया. जब अध्ययन किया गया तो पता चला कि इसका स्टार्च 40 प्रतिशत धीमा पचता है. यह गेहूं खाने के लिए अच्छा है. अभी भी इसके और भी फायदों को जानने के लिए कई तरह के परीक्षण किए जा रहे है.