मौसम के अचानक बदलाव से लोगों की सेहत पर तो असर होता ही हैं साथ ही इसका असर फसल पर भी पड़ता है. इस वक़्त मौसम में हो रहे बदलाव का सबसे ज्यादा असर गेहूं पर दिखाई दे रहा है. किसानों का कहना है कि एक तो बारिश के कारण गेहूं की बुवाई (wheat sowing) काफी लेट हुई और अगर अब मार्च के महीने से ही गर्मी ने भी अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है.
आपको बता दें कि तेज गर्मी होने के कारण गेहूं की बाली को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है. बाली के अंदर जो दाना होता है उसके अंदर का दूध गर्मी के वजह से सूखने लगा है. जिसका सीधा असर गेहूं के उत्पादन पर हो रहा है.
जैसा कि आप सब लोग जानते है, कि मार्च का आधा महीना खत्म हो चुका है. इस आधे महीने में ही पारा लगभग 31 के ऊपर जा रहा है. ऐसे में इसका असर गेहूं पर पड़ रहा है. गेहूं का उत्पादन (production of wheat) कम होगा और फसल को लेकर किसान भाइयों को आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गेहूं के अच्छे उत्पादन के लिए 25 से 30 डिग्री उत्तम माना जाता है.
2.92 लाख हेक्टेयर गेहूं की फसल तैयार (Wheat crop ready on 2.92 lakh hectares)
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गेहूं का उत्पादन हमेशा ठीक-ठाक पायदान पर रहता है. गौरतलब की बात यह है कि लगभग 7 तहसीलों में करीब 2.92 लाख हेक्टेयर पर गेहूं की फसल तैयार है. किसानों का कहना है, कि दिसंबर माह में जब गेहूं की बुआई का समय था तब उस समय बारिश ने बुवाई में देरी करवा दि और अब गर्मी के कारण फसल पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. सामान्य ताप पर गेहूं की फसल (wheat crop) अच्छी होती है और किसानों को बाजार में फसल का अच्छा लाभ मिलता है.
नकली बीजों का असर (Effect of fake seeds)
गेहूं का फसल जल्दी खराब होना व पैदावार में कमी होना, यह अक्सर देखा गया है. इसका एक मुख्य कारण बाजार में मौजूद नकली बीजों (fake seeds) को भी माना जा रहा है. फसल सुरक्षा के लिए कृषि विभाग के द्वारा समय-समय पर बाजार में सख्ती की जाती है, लेकिन फिर भी इसका कोई फायदा जिले में नहीं देखने को मिलता है.
तापमान अधिक होने कारण गेहूं की फसल पर असर हो रहा है. इस परेशानी का हल निकालने के लिए विभाग स्तर से किसानों को फसल बचाव अभियान के तहत जागरूक किया जा रहा है. ताकि इस साल भी जिले में गेहूं का उत्पादन अधिक हो सके.