हमारे समाज में महिलाओं की भागीदारी देश के विकास में बहुत अहम रही है. वह ग्रामीण भारत के विकास के लिए रीढ़ की हड्डी के तौर पर काम कर रही हैं, खासकर के कृषि क्षेत्र में. वर्तमान में केवल कुछ महिलाएं इस क्षेत्र में व्यवसायों का चयन कर रही हैं, इस बात पर जोर देती है कि उनके संभावित कौशल का केवल आधा ही इस क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है जो अपार संभावनाओं और विकास से भरा है.
इस समस्या का समाधान करने के लिए, कृषि जागरण ने इस आशाजनक उद्योग में महिलाओं के लिए उपलब्ध पर्याप्त रोजगार विकल्पों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर कृषि विज्ञान में अग्रणी एफएमसी कॉर्पोरेशन के साथ भागीदारी की है.
FMC Corporation महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ उन्हें विविधता, इक्विटी और समावेश के क्षेत्र में उत्कृष्ट करियर और उन्नति की संभावनाएं प्रदान करने के लिए अपने दरवाजे खोल रहा है.
वर्ष 2027 तक, यह पूरे संगठन में लैंगिक समानता के एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की योजना बना रहा है. एफएमसी निश्चित रुप से महिलाओं की प्रतिभा और कार्य करने की दक्षता और ऊपर उठा सकता है.
वेबिनार में पांच महिलाओं ने भाग लिया, जिन्होंने सफलतापूर्वक कृषि-इनपुट क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करके अपनी खुद की जहग बनाई है. वेबिनार का लक्ष्य क्षेत्र में पैनलिस्टों के व्यापक अनुभवों के माध्यम से अन्य महिलाओं को कृषि व्यवसाय को लेकर एक संभावित करियर विकल्प के रूप में विचार करने के लिए प्रोत्साहित करना था. एफएमसी में महिला पेशेवरों ने इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अधिक महिलाओं को आकर्षित करने के लिए अपनी चुनौतियों, उपलब्धियों और विचारों के बारे में बात की. कृषि जागरण में एजीएम स्पेशल इनिशिएटिव अनिका बस्सी ने अक्षिता मिश्रा, एजीएम मार्केटिंग एफएमसी, मनीषा गणेशन, एरिया मार्केटिंग मैनेजर एफएमसी, सीमा गुप्ता, एजीएम मार्केटिंग एफएमसी, रेणुका बाराटम, मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव एफएमसी, और अनु थानिया के, एफएमसी कॉरपोरेशन में मैनेजमेंट ट्रेनी सहित सभी महिलाओ के साथ सत्र का संचालन किया.
यह पूछे जाने पर कि उनके पूरे करियर में लिंग आधारित चुनौतियों (Gender Based Challenges) का सामना करना पड़ा और वह कैसे इन सब से उठकर बाहर आईं? अक्षिता मिश्रा ने कहा, "हालांकि यह हर किसी के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है, मैं वास्तव में मानती हूं कि ऐसा कोई उद्योग नहीं है जो मुख्य रूप से पुरुष या महिला आधारित हो. हालांकि एक महिला को पहले अपने पुरुष सहकर्मियों के साथ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यदि आप समर्पित हैं और अपने पेशे में काफी अच्छे हैं, तो आपके सहकर्मियों की शुरुआती धारणा अंततः फीकी पड़ जाएगी.
अनु थहनिया ने यह बताते हुए कि उन्होंने कृषि-रसायन क्षेत्र में काम करना क्यों चुना, जिसे एक पुरुष-प्रधान उद्योग माना जाता है, ने कहा, "मेरी राय में, कृषि क्षेत्र में बहुत सारी महिलाएं काम कर रही हैं, हर तरह के पद पर. हालांकि, जब पेशेवर अधिकारियों की बात आती है, तो पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक हो जाती है. एग्रोकेमिकल्स में मजबूत रुचि होने के साथ-साथ, मेरा यह भी मानना है कि महिलाएं कृषि उद्योग में भाग ले सकती हैं और अभिनव और क्रांतिकारी परिवर्तन की पेशकश कर सकती हैं."
सीमा गुप्ता ने महिला सशक्तिकरण को लेकर बात करते हुए कहा कि "FMC महिलाओं को एक ऐसे क्षेत्र में सम्मानजनक रूप से काम करने का उचित मौका और भरपूर अवसर देता है, जहां आमतौर पर पुरुषों का प्रभुत्व माना जाता है.
संगठनों में सशक्त महिलाओं के होने के फायदों के बारे में बात करते हुए, मनीषा गणेशन ने कहा, सशक्त महिलाओं की उपस्थिति महिला पेशेवरों की छोटी संख्या के लिए एक समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करती है, उन्होंने महिलाओं से कहा कि, अपने कर्तव्यों का पालन करते समय अलग-थलग महसूस न करें. FMC में हम महिलाओं के अनुकूल कार्यस्थल के माहौल का पुरजोर समर्थन करते हैं और महिला सहकर्मियों को प्रेरित रखने के लिए अक्सर बैठकें करते हैं."
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इसके अतिरिक्त, चर्चा में महिलाओं को कृषि व्यवसाय क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने और लिंग अंतर को कम करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने सहित महिलाओं से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्ता की गई.