वक्त के साथ कई चीजें बदलती रहती है. पारंपरिक खेती के तरीकों के स्थान पर तकनीकों का इस्तेमाल किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद है. खेती के आधुनिकीकरण की कोशिशों में एक नयी तकनीक भी शामिल होने वाली है जिससे अब अन्नदाताओं की कई दिक्कतें दूर हो जाएँगी. किसानों के लिए अब खेती करना और भी आसान होने वाला है. घर बैठे ही किसान अपनी खेती की देखभाल कर सकते है साथ ही ड्रोन के द्वारा अपनी फसल पर कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं. क्या है ये पूरी ख़बर, पढ़िए इस लेख में
ड्रोन के एसओपी के बारे में जानकारी (About Drone's SOP)
ड्रोन के एसओपी के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. ड्रोन के उपयोग के लिए स्टैंड़र्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) जारी किया गया है. फसलों की सुरक्षा के लिए कीटनाशकों का छिड़काव ड्रोन के जरिए किया जायेगा. कृषि, वानिकी, गैर-फसल क्षेत्रों आदि में फसल सुरक्षा के लिए ड्रोन की मदद से कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है. पौध संरक्षण, संगरोध एवं भंडारण निदेशालय द्वारा कीटनाशक अधिनियम 1968 के प्रावधान (नियम 43) और उपक्रम के लिए कीटनाशक नियम (97) के तहत ड्रोन के एसओपी को तैयार किया गया है
ड्रोन तकनीक का उपयोग (Use of drone technology)
भारतीय कृषि तेजी से प्रगति पथ पर अग्रसर है और किसानों द्वारा अनुसंधान और नई तकनीकों को अपनाने से किसानों को काफी लाभ प्राप्त हुआ है. भारत के कृषि क्षेत्र में फसल की सुरक्षा और अच्छी उपज के लिए ड्रिप सिंचाई और खेती में तमाम तरह की मशीनों का उपयोग किया जा रहा है. खेती के लिए अब ड्रोन एक अहम भूमिका निभाने वाला है जिसमें अब मानव शक्ति की आवश्यकता बहुत कम होगी. ड्रोन के इस्तेमाल से पानी की मात्रा और रसायन की खपत भी कम होगी. ध्यान रखने योग्य विशेष बात यह है कि अगर आप खेत में ड्रोन द्वारा छिड़काव करवाना चाहते है तो 24 घंटे पहले इससे संबंधित अधिकारियों को सूचित करना होगा.
जानें क्या हैं दिशा-निर्देश (Know what are the guidelines)
कीटनाशकों के छिड़काव के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा निर्देश इस प्रकार है-
क्षेत्र को चिन्हित करने की जिम्मेदारी ऑपरेटरों की होगी.
ऑपरेटर केवल अनुमोदित कीटनाशकों और उनके फॉर्मूलेशन का उपयोग करेंगे.
स्वीकृत ऊंचाई से ऊपर ड्रोन को नहीं उड़ाया जा सकेगा .
ऑपरेटरों को धुलाई और प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी.
सभी हवाई संचालन के कम से कम 24 घंटे पहले आसपास के लोगों को सूचित करना होगा.
24 घंटे से पहले अधिकारियों को इस संबंध में सूचना देनी होगी.
जानवरों और संचालन से नहीं जुड़े व्यक्तियों को छिड़काव वाले क्षेत्र में प्रवेश से रोका जाएगा.
पायलटों को कीटनाशकों के प्रभावों को शामिल करते हुए प्रशिक्षण से गुजरना होगा.
डीजीसीए द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देश (Guidelines issued by DGCA)
ध्यान देवें कि आपका ड्रोन (50 फीट तक के अनियंत्रित हवाई क्षेत्र में नैनो को छोड़कर) डिजिटर स्काई “नो परमिशन- नो टेक ऑफ’ (एनपीएनटी) कॉम्पटिएंट है.
नियंत्रित हवाई क्षेत्र में संचालन के लिए डीजीसीए से विशिष्ट पहचान संख्या (यूएलएन) प्राप्त करें और इसे अपने ड्रोन पर लगाएं.
ड्रोन का इस्तेमाल केवल दिन में ही किया जा सकता है .
हवाई अड्डों और हेलीपेड के पास ड्रोन को उड़ाना वर्जित है हेलीपोर्ट्स