जैविक खेती पर हमेशा से ही चर्चा होती रही है. हर बैठक में जैविक खेती के मुद्दे को तरजीह दी जाती रही है और दी भी क्यों न जाए, क्योंकि आज की तारीख में जैविक खेती हमारे किसान भाइयों की जरूरत बनकर उभर रही है. एक समय था, जब खेती मतलब, सिर्फ और सिर्फ जैविक खेती हुआ करती थी, लेकिन बढ़ती जनसंख्या की खाद्य जरूरतों की पूर्ति व अधिक उत्पादन करने की होड़ ने कब जैविक खेती की भूमिका गौण कर दिया, पता ही नहीं चला, लेकिन एक कहावत तो आपने ही सुनी ही होगी न कि देर आए लेकिन दुरूस्त आए.
जी हां...ऐसा ही कुछ आज कल हमारे किसान भाइयों के साथ भी हो रहा है. अब हमारे किसान भाई जैविक खेती की महत्ता को समझ कर कृषि की इस प्राचीन शैली की ओर रूख कर रहे हैं. इसी सिलसिले में विगत कई दिनों से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की बैठक हुई है, जिसमें केंद्र समेत कई राज्यों के कई कृषि मंत्री हिस्सा ले रहे हैं. आइए, आगे जानते हैं कि आखिर इस बैठक में विमर्श का केंद्र बिन्दु क्या रहा
वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की बैठक में किस तरह देश के अन्य राज्यों के किसानों का रूचि जैविक खेती को ओर बढ़े. इस दिशा में पूरी रूपरेखा तैयार की गई. उस पूरे प्लान को अंजाम तरक पुहंचाने की कोशिश जारी है, जिससे किसान भाइयों का रूझान जैविक खेती की ओर बढ़े. किसान भाइयों को लगातार यह कहकर आश्वस्त किया जा रहा है कि वे जैविक खेती कर अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं.
अब सरकार द्वारा तैयार की इस रूपरेखा का आने वाले दिनों में हमारे किसान भाइयों की मनोदशा पर क्या कुछ असर पड़ता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. क्या मध्य प्रदेश के इतर कोई और राज्य भी जैविक खेती के मामले में आगे बढ़ेगा? यह सभी प्रश्न तो भविष्य़ के गर्भ में छुपे हैं, लेकिन आइए आगे इस विस्तार से जानते हैं कि आखिर इस बैठक में जैविक खेती के इतर किन मुद्दों पर चर्चा हुई.
सोयाबीन की नई किस्म हुई विकसित
वहीं, भारतीय कृषि अनुसंधान के तत्वावधान में हुई इस बैठक में कहा गया है कि अगर सब कुछ तय योजनाओं के मुताबिक रहा तो आने वाले दिनों में सोयाबीन की नई किस्म हमें देखने को मिलेगी. 30 साल पुरानी किस्म को बदलकर नई किस्म विकसित की जा रही है. इस दिशा में वैज्ञानिक लगे हुए हैं. अतिशीघ्र ही इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है. आइए, आपको बताते हैं कि बैठक में शामिल हुए कृषि मंत्री ने क्या कुछ कहा?
कृषि मंत्री का बयान
बता दें कि बैठक में शामिल हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान भाइयों को खेतीबाड़ी के साथ पशुपालन भी करना चाहिए. यह उनकी आय में इजाफा करने में उपयोगी साबित हो सकता है. पशुपालन व खेतीबाड़ी एक दूसरे के पूरक हैं. पशुपालन के बिना खेतीबाड़ी की कल्पना नहीं की जा सकती है.
वैसे भी सरकार ने आगामी 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे पूरा करने की दिशा मे केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है. अब ऐसे में उनकी यह कोशिश कहां तक रंग ला पाती है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. तब तक के लिए आप कृषि जगत से जुड़ी हर बड़ी खबर से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए...कृषि जागरण.कॉम