Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 5 December, 2019 4:40 PM IST
Sheep Rearing

प्राचीन काल से ही भेड़ को पालतू पशु माना गया है.भेड़ एक बहुत सामाजिक और शांत पशु है, हमारे देश में लाखों परिवार भेड़ पालन व्यवसाय से जुड़े हैं और अपना जीवनयापन कर रहे है. भेड़ पालन में कम लागत और ज्यादा आमदनी होती है. इसका पालन मांस के साथ ऊन, खाद, दूध, चमड़ा, जैसे कई उत्पादों के लिए होता है. खास बात ये भी है कि देश के कई राज्यों में भेड़ पालन को लेकर योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. 

बता दें कि भेड़ एक ऐसा पालतू जानवर है, जिसका विकास काफी तेजी से होता है, इसलिए इनकी देखभाल में भी काफी मेहनत करनी पड़ती है. वैसे आप किसी भी प्रकार की जलवायु में भेड़ पालन का व्यवसाय कर सकते है, लेकिन ज्यादातर भेड़ कम वर्षा वाले शुष्क क्षेत्रो में देखी जाती है.

भेड़ की प्रजातियां (sheep species)

जानकारी के मुताबिक, भारत में करीब 4 प्रतिशत भेड़ पाई जाती है. वैसे सबसे ज्यादा ऊन देने वाली भेड़ उत्तरी मैदानों के शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है. अगर भेड़ की प्रमुख प्रजातियों की बात करें, तो मैरिनो, सफोल्क, डोरसेट हॉर्न, हैम्पशायर शीप, तथा जैसलमेरी भेड़ आदि प्रसिद्ध प्रजातियों में शामिल है.

आपको बता दें कि भेड़ पालन का चुनाव अपनी आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है, जैसे मालपुरा, जैसलमेरी, मंडिया, मारवाड़ी, बीकानेरी, मैरिनो, कोरिडायल रामबुतु जैसी भेड़ की प्रजातियां मांस के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा मालापुरा, मारवाड़ी, छोटा नागपुरी शहाबाबाद आदि प्रजातियों का पालन करना ऊन के उत्पादन के लिए किया जाता है.

भेड़ से सम्बंधित जानकारियां (Information about sheep)

आपने देखा होगा कि भेड़ अक्सर झुंड में रहती है, क्योंकि उन्हें झुंड में रहना अच्छा लगता है. इनमें सुनने और किसी भी चीज़ को याद रखने की क्षमता काफी तेज होती है. भेड़ एक शाकाहारी जानवर होता है, यह घास और पेड़ पौधों की हरी पत्तियां खाती है. इनके सींग नही होते है, लेकिन भेड़ों की कुछ प्रजातियों में सींघ होते है. बता दें कि विश्व में सबसे अधिक भेड़ों की संख्या चीन में पाई जाती है. तो वहीं भारत भेड़ पालन में तीसरे स्थान पर है. भेड़ की आयु करीब 7 से 8 साल होती है, लेकिन भेड़ों की कुछ अच्छी प्रजाति है जिनका जीवन काल अधिक होता है.

भेड़ पालन से फायदा (Profit From Sheep Rearing)

ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए भेड़ पालन आय का प्रमुख साधन माना गया है. इसलिए भेड़ का पालन भी अच्छी तरह करना चाहिए, जिससे ऊन, मांस और दूध ज्यादा मात्रा में मिल सके. इसके अलावा भेड़ का गोबर भी बहुत अच्छा उर्वरक माना जाता है. इससे खेतों की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है. भेड़ के दूध में प्रोटीन, वसा और कई पौष्टिक तत्व शामिल होते है. भेड़ के शरीर पर बहुत नरम और लंबे रोयें होते है, जिनसे ऊन प्राप्त होती है. इस ऊन से ही कई तरह के वस्त्र बनाए जाते है. 

English Summary: Sheep husbandry is a profitable business, read full news
Published on: 05 December 2019, 04:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now