पेट्रोल की कीमत में लगातार हो रही बढ़त से आम जनता पहले हीं परेशान चल रही है. ऐसे में खाद्य तेल के दामों में आई बढ़ोतरी की वजह से लोगों और भी परेशान हो गए हैं. ऐसे में खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार रास्ता निकला है. समस्या के समाधान हेतु तिलहन और खाद्य तेलों पर स्टाक सीमा लागू कर दी है.
स्टाक सीमा का यह फैसला 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगा. अनुमान है तब तक सरकार इसकी बढ़ती रकम पर अंकुश लगाने में सफल हों. सरकार ने एनसीडीईएक्स में सरसों तेल और तिलहन के अवैध ढंग से व्यापार कर रहे व्यापारियों को भी निलंबित कर दिया है.
बढ़ती महंगाई को देखते हुए सरकार इस तरह का कदम उठाने को बेबस हो चुकी है. सरकार का यह फैसला खाद्य तेलों की महंगाई पर काबू पाने में सहायक साबित हो सकता है, या नहीं ये आने वाले दिनों में देखा जाएगा. भारत में त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है. साथ ही खाना खाने और बनाने का भी प्रोसेस जारी है. ऐसे में माना जा रहा है कि कीमतें नहीं बढ़ने से त्योहारी सीजन में उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी.
दरअसल, वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों के मूल्य में तेजी से बढ़ रहे हैं जिस वजह से आयातित खाद्य तेल महंगा पड़ रहा है, जिससे घरेलू सट्टा बाज़ार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पिछले सालभर के आकड़ों पर नजर डालें तो खाद्य तेलों की कीमत में 46 % से अधिक की तेजी दर्ज की गई है.
खाद्य तेलों की इस महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार नई रणनीति के साथ उतरी है. इसके तहत पहले खाद्य तेलों के आयात शुल्क को बैलेंस बनाने का प्रयास किया गया. खाद्य तेल के दाम में आगे बढ़ोतरी ना ही इसके लिए भी सरकार हर जरुरी कदम अपने तरफ से उठा रही है.
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इसके अलावा, इस कारोबार से जुड़े सभी पक्षकारों को अपनी स्टाक की जानकारी स्वयं घोषित करनी होगी, जिसके लिए अलग वेब पोर्टल भी शुरु किया गया है. इस पोर्टल पर आके सभी कारोबारियों को अपनी जानकारी सरकार को देनी होगी, जिससे सरकार की नजर सभी पर बनी रहे. अलग- अलग माध्यमों से सरकार बढ़ती खाद्य तेल की रकम पर काबू पाना चाह रही है.