मानसून में Kakoda ki Kheti से मालामाल बनेंगे किसान, जानें उन्नत किस्में और खेती का तरीका! ये हैं धान की 7 बायोफोर्टिफाइड किस्में, जिससे मिलेगी बंपर पैदावार दूध परिवहन के लिए सबसे सस्ता थ्री व्हीलर, जो उठा सकता है 600 KG से अधिक वजन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Karz maafi: राज्य सरकार की बड़ी पहल, किसानों का कर्ज होगा माफ, यहां जानें कैसे करें आवेदन Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Krishi DSS: फसलों के बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से सरकार ने लॉन्च किया कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पोर्टल
Updated on: 11 February, 2023 4:11 PM IST
राष्ट्रपति ने दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस का किया उद्घाटन

दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस-2023 का उद्घाटन आज कटक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व ओडिशा के कृषि एवं किसान सशक्तिकरण, मत्स्य पालन व पशु संसाधन विकास मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वाईं की उपस्थिति में किया. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि चावल, भारत में खाद्य सुरक्षा (Food security) का आधार है और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए भी एक प्रमुख कारक है.

राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (National Rice Research Institute) में गरिमामय समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत आज चावल का अग्रणी उपभोक्ता व निर्यातक है, जिसका काफी श्रेय इस संस्थान को जाता है, लेकिन जब देश आजाद हुआ था तब स्थिति अलग थी, उन दिनों हम अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर थे. राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली शताब्दी में जैसे-जैसे सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ, चावल नए स्थानों पर उगाए जाने लगे और नए उपभोक्ता मिलने लगे. धान की फसल के लिए अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन दुनिया के कई हिस्से जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं. सूखा, बाढ़, चक्रवात अब अधिक बार आते हैं, जिससे चावल की खेती अधिक कमजोर हो जाती है. उन्होंने कहा कि भले ही चावल नई जमीन पर उगाए जा रहे हों, लेकिन ऐसे स्थान भी हैं जहां पारंपरिक किस्मों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. आज हमें बीच का रास्ता खोजना है, एक ओर पारंपरिक किस्मों का संरक्षण करना है और दूसरी तरफ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना है. मिट्टी को रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से बचाने की चुनौती भी है, हमें मिट्टी को स्वस्थ रखने के लिए ऐसे उर्वरकों पर निर्भरता कम करने की जरूरत है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वैज्ञानिक पर्यावरण के अनुकूल चावल उत्पादन प्रणाली विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं.

दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस-2023

राष्ट्रपति ने कहा कि चावल हमारी खाद्य सुरक्षा का आधार है, इसलिए इसके पोषण संबंधी पहलुओं पर भी विचार करना चाहिए. कम आय वाले समूहों का बड़ा वर्ग चावल पर निर्भर करता है, जो अक्सर उनके लिए दैनिक पोषण का एकमात्र स्रोत होता है, इसलिए चावल के जरिये प्रोटीन, विटामिन व आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने से कुपोषण से निपटने में मदद मिल सकती है. एनआरआरआई द्वारा देश का पहला उच्च प्रोटीन चावल विकसित करने पर उन्होंने कहा कि इस तरह की जैव-फोर्टिफाइड किस्मों का विकास आदर्श है एवं विश्वास जताया कि देश का वैज्ञानिक समुदाय चुनौती का सामना करने में सफल होगा.

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है, इसलिए सरकार की कोशिश रहती है कि प्रधानता को प्राथमिकता दी जाए. किसानों ने परिश्रम व वैज्ञानिकों ने अनुसंधान करके कृषि क्षेत्र में बहुत प्रगति की है. खाद्यान्न की दृष्टि से हम सिर्फ आत्मनिर्भर ही नहीं, दुनिया को भी मदद करने वाले देशों में से एक है, जो हमारे लिए गौरव का विषय है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बल है कि देश में कोई भी बच्चा या व्यक्ति कुपोषित नहीं रहे. कुपोषण की समस्या हल करने के लिए पौष्टिकता बढ़ाने हेतु बायोफोर्डिफाइड चावल की किस्में पैदा करना चाहिए, संस्थान ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए सीआर 310, 311 व 315 नामक किस्में विकसित की हैं. इस संस्थान ने चावल की 160 किस्में ईजाद की हैं. तोमर ने कहा कि बायोफोर्डिफाइड चावल पीडीएस में दिए जाएं, इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करते हुए बजट में इसके लिए प्रावधान कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि 2010 में देश में चावल उत्पादन 89 मिलियन टन ही था, जो 2022 में 46 प्रतिशत बढ़कर 130 मिलियन टन हो गया है, जिसमें किसानों एवं वैज्ञानिकों का योगदान है. भारत चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और निर्यात में हम पहले नंबर पर हैं.

ये भी पढ़ेंः क्या आपने कभी खाएं हैं इस किस्म के स्वादिष्ट चावल?

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के सानिध्य में बीते साढ़े 8 वर्षों में कोशिश की है कि किसानों को नुकसान की भरपाई हो सके, इसलिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसा सुरक्षा कवच दिया, वहीं पीएम किसान सम्मान निधि के तहत साढ़े 11 करोड़ किसानों को 2.24 लाख करोड़ रु. खातों में जमा कराकर आय बढ़ाने का प्रयत्न किया गया है. कृषि में लागत कम करने, उत्पादन बढ़ाने व पानी की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग अत्यंत आवश्यक है, कृषि क्षेत्र में टेक्नालाजी आए व निजी निवेश हो, इसके लिए भी बजट प्रावधान किया है. भारत सरकार, राज्यों के साथ मिलकर डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन पर काम कर रही है, जिसके लिए बजट में 450 करोड़ रु. रखे गए हैं. देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं, जो साहूकारी कर्ज में नहीं दबें, इसलिए अल्पकालिक ऋण के रूप में जहां 2014 तक 6-7 लाख करोड़ रु. हुआ करता था, अब प्रधानमंत्री ने इसे बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रु. किया है, इससे भी निश्चित ही किसानों की ताकत बढ़ी है. भारत सरकार की यह कोशिश है कि किसानी के क्षेत्र में निजी निवेश आए, जिसके लिए 1 लाख करोड़ रु. के एग्री इंफ्रा फंड सहित कृषि एवं संबद्ध कार्यों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रु. से ज्यादा के प्रावधान किए गए हैं. इनके कारण निजी निवेश के दरवाजे खुले हैं और गांवों तक आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर पहुंचाने का प्रयत्न किया जा रहा है. 

एग्री इंफ्रा फंड में अभी तक स्वीकृत परियोजनाओं में 16 हजार करोड़ रु. का ऋण मंजूर किया गया है, जिसका लाभ हमारे देश की कृषि को मिलने वाला है. हमारी कोशिश है कि यह एक लाख करोड़ रु. जल्द से जल्द जमीन पर पहुंचे, इसमें निजी निवेश भी मिलकर कृषि को उन्नत व लाभकारी रूप में तब्दील करने में आगे बढ़ें. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कांग्रेस में चावल की खेती को लेकर एक बेहतर रोडमैप तैयार किया जाएगा. राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि चावल हमारे देश के लोगों का मुख्य भोजन है और यह हमारी संस्कृति और परंपरा में गहराई से जुड़ा हुआ है. पौराणिक कथाओं से कृष्ण-सुदामा की कहानी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चावल खाद्य सुरक्षा के मुद्दे का समाधान कर सकता है. उन्होंने अनेक लोगों के मुख्य भोजन के रूप में चावल के महत्व को रेखांकित किया. ओडिशा के कृषि मंत्री स्वाईं ने कहा कि ओडिशा न सिर्फ चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि 6 अन्य राज्यों को चावल का निर्यात करता है. 

ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में चावल उत्पादन बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं. उद्घाटन समारोह में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही डेयर के सचिव व आईसीएआर महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, एसोसिएशन ऑफ राइस रिसर्च वर्कर्स के अध्यक्ष डॉ. पी.के. अग्रवाल, संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. नायक, आयोजन सचिव डा. एस. साहा मौजूद थे. चार दिनी कांग्रेस में किसान, देश-विदेश के वैज्ञानिक, केंद्र व राज्य के कृषि तथा अन्य विभागों के अधिकारी भाग ले रहे हैं. इस अवसर पर पुस्तकों का विमोचन भी किया गया.

English Summary: Rice the basis of food security, a major factor for the economy: Murmu
Published on: 11 February 2023, 04:16 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now