केंद्र सरकार के नए तीन कृषि क़ानूनों (New Farm Bill) के ख़िलाफ़ गणतंत्र दिवस के दिन किसानों ने ट्रैक्टर मार्च (Farmers’ Tracker Parade) निकाला. इस दौरान हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली के अलग-अलग इलाक़ों में नजर आए. सभी किसानों ने हाथों में तिरंगा और अपने संगठन का झंडा लेकर ट्रैक्टर मार्च (Farmers’ Tracker Parade) निकाला.
इतना ही नहीं, किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान कई इलाक़ों में पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प भी हुईं. इसमें एक किसान की मौत भी हो गई, तो वहीं प्रदर्शनकारी किसानों के साथ झड़प में 83 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.
बताया जा रहा है कि किसानों के एक समूह ने लाल क़िले के अंदर घुसकर सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहब को फहरा दिया. अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि दिल्ली में 2 महीने से भी लंबे समय से चल रहा किसानों का आंदोलन का क्या रूख लेगा?
ट्रैक्टर रैली में फैली हिंसा
किसानों की ट्रैक्टर मार्च (Farmers’ Tracker Parade) में इस कदर हिंसा फैली कि दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारियों के सामने असहाय नजर आने लगी. इस दौरान केंद्र सरकार ने राजधानी में पैरामिलिट्री फोर्सेज की 15-20 कंपनियां यानी लगभग 1500 से 2000 जवान तैनात करने का फैसला किया है. इससे पहले दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मद्देनजर सुरक्षाबलों के 4500 जवान तैनात थे. अब इनकी संख्या और बढ़ा दी गई है.
ट्रैक्टर रैली में फैली हिंसा
किसानों की ट्रैक्टर मार्च (Farmers’ Tracker Parade) में इस कदर हिंसा फैली कि दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारियों के सामने असहाय नजर आने लगी. इस दौरान केंद्र सरकार ने राजधानी में पैरामिलिट्री फोर्सेज की 15-20 कंपनियां यानी लगभग 1500 से 2000 जवान तैनात करने का फैसला किया है. इससे पहले दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मद्देनजर सुरक्षाबलों के 4500 जवान तैनात थे. अब इनकी संख्या और बढ़ा दी गई है.
एफआईआर दर्ज
इसके अलावा हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने अब तक 22 एफआईआर भी दर्ज की हैं. हिंसा के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अन्य उपद्रवियों को पकड़ने की तैयारियां की जा रही हैं. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि लाल किले में जिसने भी हिंसा फैलाई, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी. वे लोग आंदोलन का हिस्सा नहीं रह सकते हैं.
अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात करने का फैसला
इस सबके बीच गृह मंत्री अमित शाह के घर पर एक बैठक की गई, जिसमें दिल्ली में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात करने का फैसला लिया गया है. इसके साथ दिल्ली पुलिस को उपद्रवियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है.
आपको बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मंगलवार शाम को ही किसानों की परेड को वापस ले लिया गया था. किसानों से यह कहा है कि वे तुरंत प्रदर्शन स्थल पर लौटें. किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण जारी रहेगा और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी. बता दें कि इससे पहले ही बड़ी तादाद में किसान दिल्ली में प्रवेश कर गए थे. किसानों ने अक्षर धाम और गाजीपुर बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़कर प्रवेश किया था. इसके बाद किसान लाल किले तक पहुंच गए.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के नए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. इसमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं. किसान 28 नवंबर 2020 से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई हल निकलकर सामने नहीं आया है.