केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार ने गेहूं के लिए एमएसपी में 40 रुपये की बढ़ोतरी की है, जो अब 2015 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि जौ की एमएसपी में की गई है 35 रुपये की बढ़ोतरी
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को किसानों के लिए अहम फैसला लिया है. दरअसल केंद्रीय कैबिनेट ने साल 2022-23 के सीजन के लिए रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार ने गेहूं के लिए एमएसपी में 40 रुपये की बढ़ोतरी की है, जो अब 2015 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि जौ की एमएसपी में 35 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. कैलाश चौधरी ने कहा कि सरकार की इस पहल का उद्देश्य इन फसलों की खेती के रकबे के साथ-साथ किसानों की आय को बढ़ाना है.
कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि मसूर, रेपसीड तथा सरसों (₹400 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी) के एमएसपी में पिछले वर्ष की तुलना में उच्चतम वृद्धि की गई है, इससे सभी अधिदेशित रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी होगी.
कैलाश चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पिछले कुछ वक्त में अलग-अलग फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी की जा रही है. उन्होंने कहा कि किसानों को लेकर जो फैसले लिए गए हैं, ये किसानों की आय दोगुनी करने में मील का पत्थर साबित होंगे.
उन्होंने कहा कि मार्केटिंग सत्र 2022-23 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि, केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणाओं के अनुरूप है, जिसमें उत्पादन की औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा की गई थी. इसका उद्देश्य किसानों के लिए उचित लाभ सुनश्चित करना है.
केंद्र सरकार के कदमों से देश में कम होगी खाद्य तेलों की आयात पर निर्भरता :
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार की ओर से तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में एमएसपी को फिर से दुरुस्त करने के लिए ठोस प्रयास किए गए ताकि किसानों को इन फसलों के लिए खेती का रकबा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. साथ ही मांग एवं आपूर्ति के असंतुलन को ठीक करने के लिए सर्वोत्तम तकनीकों और कृषि पद्धतियों को अपनाया जा सके.
इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा हाल में घोषित खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-तेल पाम (एनएमईओ-ओपी) - जैसी एक केंद्रीय योजना से खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी.