मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो कम लागत के साथ शुरू किया जा सकता है. यह व्यवसाय भविष्य के लिए मुनाफे का सौदा साबित होता है. सरकार भी मछली पालन (Fisheries) व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है, ताकि अधिक से अधिक मुनाफा मिल सके.
वहीँ, दूसरी तरफ इस व्यवसाय से और अधिक मुनाफा पाने के लिए हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार (Chaudhary Charan Singh Agricultural University, Hisar) के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसे रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम (Recircular Aquaculture System ) यानि कि आरएएस तकनीक (RAS Technology) नाम से जाना जाता है. इसके तहत सीमेंट से बने टैंक बनाकर मछली पालन किया जाता है. इस तकनीक में ना तो आपको ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है और ना ही ज्यादा जगह की. तो आइये इस तकनीक से मछली पालन करने का तरीका जानते हैं.
आरएएस तकनीक (RAS Technology)
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आरएएस (RAS) तकनीक में पानी का बहाव निरंतर बनाए रखने लिए पानी के टैंक में आने-जाने की व्यवस्था की जाती है.
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इस तकनीक में कम पानी और कम जगह की जरूरत होती है.
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सबसे पहले आपको 625 वर्ग फीट बड़ा और 5 फीट गहरा सीमेंट टैंक बनवाना होगा.
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एक एकड़ तालाब में 18-20 हजार मछली डाली जाती हैं.
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एक मछली को 300 लीटर पानी में रखा जाता है.
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इस तकनीक के जरिए एक हजार लीटर पानी में 110-120 मछली डालते हैं.
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एक टैंक में 4 हजार मछली पाली जा सकती है.
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आरएएस तकनीक के फायदे (Advantages Of RAS Technology)
आमतौर पर एक एकड़ तालाब के लिए करीब 25 हजार मछलियों की जरूरत पड़ती है, जबकि इस तकनीक के सहारे आप एक हजार लीटर पानी में कुल 110-120 मछलियों से ही काम चला सकते हैं. आपकी एक मछली को केवल 9 लीटर पानी में रखना है. इतना पानी भी उसके लिए पर्याप्त होगा.