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Updated on: 24 November, 2021 4:49 PM IST
Agriculture News

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU)  द्वारा एक अहम पहल की गई है. दरअसल, अब कृषि विश्वविद्यालय में शराब फैक्ट्रियों की फ्लाई ऐश और स्पेंट वाश से फास्फोटिक फर्टिलाइजर तैयार किया जाएगा. इसके लिए USA स्थित विश्व के एकमात्र उर्वरक शोध संस्थान इंटरनेशल फर्टिलाइजर डेवलपमेंट सेंटर के साथ एमओयू साइन किया गया है.

खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए आर्थिक मदद भी प्रदान की जाएगी. बता दें कि शुगरफेड हरियाणा प्रथम वर्ष HAU, IFDC और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को 7.5 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद प्रदान करेगा.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज द्वारा बताया गया है कि मौजूदा समय में डिस्टिलरी से निकलने वाली फ्लाई ऐश और स्पेंट वाश का निस्तारण एक बड़ी समस्या है. ऐसे में फास्फोटिक फर्टिलाइजर बनाना एक अहम कदम है. इस कदम को वेस्ट टू वेल्थ की सोच को सार्थक करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

जानकारी के लिए बता दें कि पोटेशियम फर्टिलाइजर के 50 किलो के एक बैग का दाम लगभग 750 रुपए तक है. उसी बैग का विकल्प फास्फोटिक फर्टिलाइजर मात्र 180 रुपए में मिलेगा. हरियाणा सालाना लगभग 14000 टन पोटाश का उत्पादन कर सकता है, तो वहीं 7000 टन फास्फोरस यानि लगभग 15 प्रतिशत पोटाश उर्वरक और 2 प्रतिशत फास्फोरस उर्वरक का उत्पादन कर सकता है.

अब राज्य सालाना लगभग 55 करोड़ रुपए और 27 करोड़ रुपए मूल्य के पोटाश और फास्फोरस उर्वरक का उत्पादन करेगा. इस कदम से केंद्र सरकार के सब्सिडी बोझ को कम किया जा सकता है. यानि यह सरकार बोझ को सालाना 30 करोड़ रुपए से अधिक कम कर सकता है.

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राज्य में 68 प्रतिशत बढ़ा है खाद का प्रयोग

एक अनुमान लगाया गया है कि हरियाणा ने पिछले छह दशकों में अपने अकार्बनिक उर्वरक उपयोग में लगभग 68 गुना वृद्धि की है. यह वृद्धि राष्ट्रीय स्तर पर केवल 12 गुना है. 

वहीं, अगर मृदा स्वास्थ्य को लेकर बात की जाए, तो तैयार रिपोर्ट कार्ड पोर्टल के अनुसार, हरियाणा में लगभग 90 प्रतिशत से अधिक मिट्टी में नाइट्रोजन, 56 प्रतिशत फास्फोरस और 50 प्रतिशत से अधिक पोटाश की कमी है. फिलहाल, राज्य में साल 2012 से पोटेशियम की कमी 2.5 प्रतिशत बढ़ गई है.

English Summary: Phosphatic fertilizer will be made from the waste of liquor factories
Published on: 24 November 2021, 04:53 PM IST

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