केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने एसोचैम के वर्चुअल सम्मेलन में मत्स्य पालन और मत्स्य उद्योग जगत को संबोधित किया. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए केंद्र सरकार द्वारा सबसे बेहतरीन कार्य प्रणाली को शामिल कर उसके जरिये निष्पादित किया जा रहा है.
मत्स्य पालन क्षेत्र के पास भारत में अपने कारोबार को विस्तार देने के लिए एक विशाल घरेलू बाजार है.
बड़े पैमाने पर मछुआरे हुए लाभान्वित
मंत्री ने आगे कहा कि पीएमएमएसवाई पिछले साल भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी. अब यह योजना बड़े पैमाने पर भारत के मछुआरों को लाभान्वित कर रही है. पीएमएमएसवाई के बड़े क्षेत्र के अंतर्गत बहुत सी उप-योजनाएं शामिल हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मछुआरों को लाभान्वित कर रही हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विचार के अनुरूप, इन योजनाओं में निर्यात को दोगुना करना, मछली के उत्पादन को दोगुना करना और मछुआरों की आय को दोगुना करना शामिल किया गया है.
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में न केवल इस क्षेत्र में तेजी आएगी, बल्कि देशभर में 50 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार भी पैदा होगा. अंत में, मंत्री ने भारत के मछुआरों को क्षेत्र के उत्थान और पुनर्जीवित करने के लिए सरकार से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया.
पुरुषोत्तम रूपाला रहे मुख्य अतिथि
यह चर्चा एसोचैम द्वारा मत्स्य पालन और मत्स्य उद्योग पर आयोजित एक वर्चुअल सम्मेलन के जरिये आयोजित की गई थी. इसका विषय "नीली क्रांति और आर्थिक विकास को सक्षम करने की दिशा में रणनीतिक रोडमैप" था. इस कार्यक्रम में मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
एसोचैम की ओर से चिंतन ठाकर, अध्यक्ष, एसोचैम गुजरात काउंसिल ने देशभर से उपस्थित सभी सम्मानित अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया. इस क्षेत्र के पुनरुद्धार के लिए एसोचैम के समय पर सहयोग और समर्थन का आश्वासन दिया.
एमपीईडीए के अध्यक्ष के एस श्रीनिवास, आईएएस ने कहा कि समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण भी समय-समय पर उपाय करके इस क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में मदद कर रहा है. समुद्री उद्योग निकायों के सामने आने वाली समस्याओं का बेहतरीन समाधान प्रदान करना एमपीईडीए की प्रमुख चिंता है.
55 लाख रोजगार करना है सृजन
इसके साथ ही गुणवत्ता बनाए रखने के साथ-साथ क्षेत्र के सुचारू और उचित संचालन को सुनिश्चित करना और खाद्य सुरक्षा के संबंध में आवश्यक चिंताओं को पूरा करने के लिए हम विभिन्न कार्यक्रमों को लागू करते हैं.
पीएमएमएसवाई और अन्य मत्स्य पालन से संबंधित योजनाओं के बारे में अधिक तकनीकी जानकारी देते हुए मत्स्य विभाग के संयुक्त सचिव सागर मेहरा ने कहा कि यह योजना मई 2020 में 100 विविध गतिविधियों की एक श्रेणी के साथ शुरू की गई थी.
मत्स्य पालन क्षेत्र में सबसे बड़ा निवेश
इसका बजट 20,050 करोड़ था, जो मत्स्य पालन क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है. इस योजना के तहत महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हितधारकों और सरकार के बीच ठोस और सहयोगात्मक प्रयासों के साथ रणनीति की आवश्यकता है.
ये लक्ष्य 1,00,000 करोड़ रुपये मत्स्य निर्यात, अतिरिक्त 70 लाख टन मछली उत्पादन और आने वाले वर्षों में 55 लाख रोजगार का सृजन करना हैं. सत्र में उपस्थित अन्य वक्ता भारत के विभिन्न हिस्सों से थे, जो मत्स्य पालन और मत्स्य उद्योग के व्यवसाय में शामिल थे.
उन्होंने चर्चा की और देश के अंदर मत्स्य पालन और जलीय कृषि उद्योग की मौजूदा स्थिति से निपटने के सभी संभावित तरीकों पर चर्चा की. उद्योग निकायों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले सत्र के अन्य प्रख्यात वक्ताओं में डॉ. मनोज एम शर्मा, निदेशक, मयंक एक्वाकल्चर, प्रा. लिमिटेड, अमित सालुंखे, चीफ एलायंस अधिकारी, एक्वा कनेक्ट और धवल रावल, अध्यक्ष-कृषि और खाद्य प्रसंस्करण समिति, एसोचैम गुजरात काउंसिल के साथ डॉ. वेंकटेश अय्यर, प्रधान संपादक, एसएमई इंडिया सत्र के लिए एक मॉडरेटर के रूप में जुड़े थे.
इसके अलावा सत्र को नाबार्ड और गुजरात राज्य जैव प्रौद्योगिकी मिशन और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, गुजरात सरकार द्वारा समर्थित किया गया था. इस सत्र में मत्स्य पालन और मत्स्य उद्योग के प्रमुख उद्योग निकायों/प्रमुख उद्योगपतियों, निर्यातकों, शिक्षाविदों, नौकरशाहों, एफपीओ और देश भर के अन्य उद्योग पेशेवरों ने भाग लिया.