जिस तेजी के साथ कोरोना वायरस का कहर लोगों को अपने आगोश में लेने पर आमादा हो चुका है, उसे देखते हुए अब माना जा रहा है कि आगामी दिनों में केंद्र सरकार देशव्यापी लॉकडाउन लगाने पर विचार कर सकती है. हालांकि, बीते दिनों पीएम मोदी ने दस राज्यों के मुख्यमंत्री संग बैठक में साफ कह दिया था कि संपूर्ण लॉकडाउन लगाना हमारा अंतिम विकल्प होगा, लेकिन हमारी कोशिश रहेगी कि हम बिना लॉकडाउन के ही स्थिति को दुरूस्त करने की कोशिश करें, मगर अफसोस मौजूदा स्थिति हालातों के दुरूस्त होने के संकेत नहीं दे रही है. संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. मौत आंकड़ा भी छलांग लगा चुका है.
ऐसे में अब सरकार के ऊपर पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन लगाने का दबाव बढ़ रहा है. बीते दिनों खुद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कोरोना से दुरूह हो रहे हालातों को ध्यान में रखते हुए संपूर्ण लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया था. कोर्ट ने कहा था कि कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगाना चाहिए. वहीं व्यापारियों की संस्था कैट ने भी सरकार को सुझाव दिया कि सरकार कुछ दिनों के लिए संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए लॉकडाउन लगाने पर फैसला करें.
राहुल गांधी ने भी दिया सुझाव
वहीं, कल तक केंद्र सरकार को लॉक़डाउन लगाने के लिए जिस विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ा था. अब वही विपक्ष सरकार को लॉकडाउन लगाने का सुझाव दे रही है. बता दें कि अब राहुल गांधी ने खुद केंद्र सरकार को कोरोना से दुरूह हो चुके हालातों को ध्यान में रखते हुए देशव्यापी लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया है. इस तरह से लगातार कई गणमान्य लोग सरकार को सूंपर्ण लॉकडाउन लगाने का सुझाव दे रहे हैं, मगर सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
अगर आपको ध्यान हो तो, कोरोना की पहली लहर के दौरान जब सरकार ने लॉकडाउन लगाया था, तब कई लोगों ने इसका विरोध किया था, मगर अब जिस तरह से कोरोना ने पूरी देश की स्थिति को बिगाड़ कर रख दिया है, उसे देखते हुए सरकार से सूंपर्ण लॉकडाउन लगाने की मांग हो रही है, मगर सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
बता दें कि वर्तमान में कोरोना का कहर अपने चरम पर पहुंच चुका है. संक्रमण के मामले 4 लाख को पार कर चुके हैं. हालांकि, जहां हालात गंभीर है, वहां लॉकडाउन लगाया जा चुका है, मगर अफसोस इसके कोई भी सकारात्मक संकेत नहीं दिख रहे हैं. अभी देश के 150 से भी अधिक जिले कोरोना की चंपेट में आ चुके हैं, मगर स्थिति है कि दुरूस्त होने का नाम नहीं ले रही है.
शुरू हो चुका टीकाकरण
कोरोना की पहली लहर के दौरान तो वैक्सीन का ईजाद भी नहीं हुआ था, मगर इस बार तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो चुकी है, लेकिन तब भी इसका महामारी पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ रहा है. ऐसे में अब इस वैक्सीन की उपोयगिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. कुछ लोग इस वैक्सीन के साइडिफेक्ट की बात कर रहे हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं, जो इस वैक्सीन को लगवाने से परहेज कर रहे है. वहीं, अमेरिकी चिकित्सक विशेषज्ञ ने कहा कि भारत में बनी कोरोना वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में कारगर साबित हो सकती है, लेकिन हमारे लोगों का इस वैक्सीन पर विश्वास नहीं बढ़ रहा है. आलम यह है कि लोग अब इस वैक्सीन से परहेज कर रहे हैं.
फाउची भी दे चुके लॉकडाउन लगाने का सुझाव
यहां हम आपको बताते चले कि अमेरिकी चिकित्सक विशेषज्ञ एंथनी फाउची भी भारत की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन लगाने का सुझाव दे चुके हैं. विगत दिनों उन्होंने अपने दिए बयान में कहा था कि भारत में जिस तरह के हालात बने हुए हैं, उसे देखते हुए सरकार को संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन जैसा फैसला लेना ही होगा, लेकिन फाऊची की इस प्रतिक्रिया पर लोगों ने कहा था कि उन्हें भारत के आंतरिक मसलों पर हस्तक्षेप करने का कोई नौतिक हक नहीं है. खैर, अब देखना यह होगा कि जब सरकार चौतरफा दबावों से घिर चुकी है, तो ऐसे में आगे देशव्यापी लॉकडाउन लगाने का फैसला लेती है की नहीं.