रबी मौसम के आते ही किसानों की उत्साह काफी बढ़ जाती है. किसान इस मौसम में गेहूं की खेती बड़े स्तर पर करते हैं. किसानों को गेहूं की लाभकारी किस्मों के बारे में भी जानकारी दी जाती है जिससे वो ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकें.
वहीं जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय में गेहूं की प्रमुख किस्मों पर प्रयोग किया गया और इसमें नई फसलें भी शामिल थीं. इस प्रयोग के बाद यह बात सामने निकलकर आयी है कि मारवाड़ के किसान गेहूं की नई किस्म एचआइ-1605 की बुवाई कर सकेंगे. इन किस्मों में मारवाड़ की जलवाय के लिए सबसे उपयुक्त किस्म एचआई-1605 पाई गई है.
हाल ही में कृषि विश्वविद्यालय में क्षेत्रीय अनुसंधान व प्रसार सलाहकार समिति (जर्क) की बैठक में 'पैकेज ऑफ प्रेक्टिसेजÓ में शामिल करने का अनुमोदन किया गया, इसके बाद अब यह किस्म किसानों के लिए बाजार में जल्द ही उपलब्ध हो सकेगी.
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दो साल चली टेस्टिंग (Two years of testing)
एचआइ-1605 किस्म का प्रयोग राज्य सरकार के रामपुरा स्थित एडेप्टिव ट्रायल सेंटर पर एक साल तक अन्य किस्मों के साथ किया गया जिसमें इसके परिणाम सकारात्मक आए. वहीं इस किस्म को लेकर कृषि विश्वविद्यालय कि जनसंपर्क अधिकारी डॉ एमएल मेहरिया ने किसानों को एक खुशखबरी भी दी है. रिसर्च में किसानों के लिए यह बात सामने आयी है कि इसमें मारवाड़ के किसानों को सभी किस्मों से अधिक उपज का लाभ मिल सकेगा.
कुपोषण किया जा सकेगा खत्म (Malnutrition can be ended)
इस नये किस्म एचआइ-1605 में आयरन व जिंक की मात्रा अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा होती है जिससे कुपोषण खत्म करने में मदद करती है.
120 दिनों में होगी तैयार (Will be ready in 120 days)
इस किस्म का सामान्य तौर पर उत्पादन प्रति हेक्टेयर 55 क्विंटल है और औसतन उत्पादन क्षमता 30 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है. इसकी बुआई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच की जा सकती है. इसमें एक विशेश खासियत यह भी है कि यह कई रोग रहित किस्म है और इसमें गेरुआ रोग, कंड़वा, फुटरोग, फ्लेग स्मट, लीफ ब्लाइट, करनाल बंट आदि रोग नहीं लगेंगे.
यह पूरी लेख कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के वैज्ञानिक शोध के परिणाम के आधार पर लिखा गया है.