भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए ड्रोन तकनीक अपनाने पर जोर दे रही हैं. इसी दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 15,000 प्रगतिशील महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए 1,261 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, ताकि किसानों को कृषि उद्देश्यों के लिए किराए पर ये ड्रोन उपलब्ध कराने में मदद मिल सके.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार शाम को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया है.
ऐसा होगा महिला लाभार्थी का चयन
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि, ‘‘इस योजना के मुख्य उद्देश्य 2024-25 से 2025-2026 के दौरान कृषि के लिए 15,000 चयनित महिला एसएचजी को ड्रोन मुहैया कराना है.’’ उन्होंने कहा कि, ‘‘दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत गठित कुल 89 लाख SHG में से लाभार्थी महिला एसएचजी का चयन किया जाएगा.’’ प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सरकार ने कहा कि अलग अलग राज्यों में से ऐसे स्थानों की पहचान की जाएगी जहां ड्रोन का उपयोग आर्थिक रूप से संभव हो सकता है.
इसके अलावा ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए प्रगतिशील 15,000 महिला एसएचजी का चयन किया जाएगा. आपको बता दें, ड्रोन की खरीद के लिए महिला एसएचजी को ड्रोन की लागत का 80 प्रतिशत और सहायक उपकरण/सहायक शुल्क के लिए 8,00,000 रुपये तक की केंद्रीय वित्त सहायता प्रदान की जाएगी.
ये भी पढ़ें : महिला किसानों को मोदी सरकार की बड़ी सौगात, उपलब्ध करवाए जाएंगे 15 हजार ड्रोन, खेती में मिलेगी मदद
कंपनियों द्वारा करीब 500 ड्रोन कराए जाएंगे उपलब्ध
एसएचजी के क्लस्टर लेवल फेडरेशन (CLF) राष्ट्रीय कृषि इन्फ्रा फाइनेंसिंग सुविधा (एआईएफ) के तहत ऋण के रूप में शेष राशि बढ़ा सकते हैं. अनुराग ठाकुर ने बताया कि, ‘‘उर्वरक कंपनियों द्वारा करीब 500 ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे. शेष 14,500 ड्रोन अगले 2 वर्षों में केंद्रीय सहायता के जरिए उपलब्ध कराए जाएंगे.’’
कंद्रीय मंत्री ने बताया कि, एक ड्रोन और उसके सामान की कुल लागत लगभग 10 लाख रुपये हैं. लागत का करीब 80 प्रतिशत या आठ लाख रुपये तक केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा. उन्होंने बताया कि, ड्रोन पायलट को 15,000 रुपये और सह-पायलट को करीब 10,000 रुपये का मानदेय भी दिया जाएगा.
10 से 15 गांवों का बनेगा एक समूह
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि, ड्रोन के इस्तेमाल के लिए 10 से 15 गांवों का एक समूह बनाया जाएगा. लगभग 1,000 हेक्टेयर भूमि ड्रोन संचालन के लिए उपलब्ध की जाएगी. उन्होंने कहा कि, इसमें वाणिज्यिक फसलों को महत्व दिया जाएगा. ठाकुर ने कहा, महिला एसएचजी के एक सदस्य को 15 दिवसीय प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा. इसमें पांच दिवसीय अनिवार्य ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और कृषि उद्देश्य के लिए अतिरिक्त 10 दिवसीय प्रशिक्षण शामिल होगा. आपको बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रौद्योगिकी से सशक्त बनाने की घोषणा की थी.