कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. सरकार का लक्ष्य है कि साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जा सके. इसी कड़ी में मोदी सरकार ने अपने एक बड़े लक्ष्य को पूरा कर दिया है. दरअसल, अब राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) प्लेटफार्म से 1 हजार मंडियां जुड़ चुकी हैं. हाल ही में, सरकार ने ई-नाम प्लेटफार्म से 962 मंडियों को ऑनलाइन किया है. इसमें 38 और नई मंडियों के नाम शामिल हैं. इससे कृषि मार्केटिंग को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.
क्या है ई-नाम योजना (What is e-nam scheme)
यह प्लेटफार्म कृषि व्यापार के लिए एक अनूठी पहल है, जो कि एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है. इसको 14 अप्रैल 2016 यानी 4 साल पहले शुरु किया गया था. उस समय इसमें केवल 21 मंडियां ही शामिल थीं. मगर अब ई-नाम प्लेटफॉर्म में 18 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश के नाम शामिल हैं. बता दें कि यह एक ऑनलाइन मार्केट प्लेटफ़ॉर्म है, ताकि देश में कृषि उत्पादों के लिए एक राष्ट्र एक बाजार उपलब्ध हो पाए. इस पोर्टल को मंडियों की अच्छी नेटवर्किंग के उद्देश्य से चलाया जा रहा है.
क्या होता है फायदा
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ई-नाम मंडियों द्वारा किसानों की उपज को कई बाजारों और खरीदारों तक डिजिटल माध्यम से पहुंचाने में मदद मिलती है.
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फसल के लेन-देन में पारदर्शिता होती है.
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फसल की गुणवत्ता के अनुसार कीमत मिलती है.
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लॉकडाउन में ई-नाम के माध्यम से करोड़ों रुपए का व्यापार हुआ है.
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इसमें 25 कृषि जिंसों (Agricultural commodities) के लिए मानक मापदंड उपलब्ध थे, लेकिन अब इसको 150 कर दिया है.
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कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के परीक्षण के लिए सुविधाएं प्रदान की जाती हैं.
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किसान अपने मोबाइल पर भी गुणवत्ता जांच रिपोर्ट देख सकता है.
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इसके साथ ही किसान मोबाइल से अपने लॉट की ऑनलाइन बोलियों की प्रगति भी देख सकता है.
अब तक का कारोबार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले 4 साल में ई-नाम से करीब 1.66 करोड़ किसान, 1.31 लाख व्यापारी, 73,151 कमीशन एजेंटों और 1012 किसान उत्पादक संगठनों (FPO) को उपयोगकर्ता आधार पर रजिस्टर्ड किया गया है. बीते 14 मई 2020 तक सामूहिक रूप से ई-नाम प्लेटफ़ॉर्म पर 1 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हुआ है. बता दें कि मौजूदा समय में ई-नाम पर फल, सब्जी, खाद्यान्न, तिलहन, रेशे समेत 150 वस्तुओं का व्यापार किया जा रहा है.
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