गिलोय (Giloy) को गुडुची कहा जाता है. कई वैज्ञानिकों ने गिलोय के सेवन को लेकर अलग – अलग अपनी तर्क बताएं हैं. किसी का कहना है कि गिलोय लीवर (Liver) के लिए हानिकारक होता है, तो किसी ने कहा है कि इसके सेवन से लीवर ख़राब हो जाता है. मगर इस बात को आयुष मंत्रालय (Ministry of Ayush ) ने गलत साबित किया है.
उन्होंने दावा है कि गिलोय/गुड्डुची एक सुरक्षित औषधीय है और इसका कोई विषैला प्रभाव (Toxic Effect) नहीं है.
इसे आयुर्वेद में सबसे अच्छा कायाकल्प जड़ी बूटी कहा जाता है. गुडुची के शोध से पता चला है कि इसका कोई विषैला प्रभाव नहीं है. इसके साथ ही कहा गया कि दवा की सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि इसका उपयोग कैसे किया जाता है.
आयुष मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि यदि दवा का सेवन एक निश्चित रूप से किया जाये, तो यह अधिक लाभदायी होती है. एक अध्ययन के अनुसार, गुडुची पाउडर की कम सांद्रता फल मक्खियों (ड्रोसोफिला मेलानोगास्टर) के जीवन काल को बढ़ा देती हैं.
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जड़ी-बूटियों के औषधीय स्रोतों के बीच गुडूची एक सच्चा खजाना है. गिलोय में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-पायरेटिक, एंटी-डायरियल, एंटी-अल्सर, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं.
गिलोय के लाभ (Benefits Of Giloy)
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गिलोय डायबिटीज, कब्ज़ और पीलिया समेत कई गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोगी है.
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गिलोय जूस (Giloy Juice) ब्लड शुगर के बढे स्तर को कम करती है
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इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती है.
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गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार को जल्दी ठीक करते हैं, साथ ही यह इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती है, जिससे डेंगू से जल्दी आराम मिलता है.
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गिलोय का काढ़ा, पेट की कई बीमारियों को दूर रखता है.