हर साल गर्मी के मौसम में आग लगने की वजह से किसानों के करोड़ों बीघा फसल जलकर खाक हो जाती है. ऐसी खबरें तो आप आए दिन पढ़ते होंगे, लेकिन हम आपको यहां जो खबर बताने जा रहे हैं वो आपको चौंका सकती हैं. जी हां खबर ये है कि किसान खुद अपनी खेतों में आग लगाने का काम कर रहे हैं.
बड़े पैमाने पर किसान खेतों में लगा रहे आग(Farmers are setting fire to the fields on a large scale)
खबर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के शाहपुर क्षेत्र की है. जहां किसान खुद के खेतों में आग लगाने का काम कर रहे है. यहां के किसान केले और गेहूं की कटाई के बाद खेतों में खड़ी नरवाई(गेंहू का अवशेष) और ठूंठ(केले का बचा हुआ धड़) को जलाने के लिए खेतों में आग लगा रहे हैं. बता दें कि फसलों की कटाई के बाद खेतों में अवशेष जलाने पर प्रतिबंध है, लेकिन बावजूद इसके राज्य के शाहपुर क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान खेतों में अवशेष जलाते नजर आ रहे हैं.
खेतों में आग लगाने से नुकसान(Damage caused by setting fire to fields)
बता दें कि जिले में बड़े पैमाने पर केले और गेंहू की खेती होती है. ऐसे में इन दोनों फसलों के कटने के बाद इसके अवशेष खेतों में ही पड़े रहते हैं. किसानों की मानें, तो इन्हीं अवशेषों को नष्ट करने के लिए वो अपने खेतों में आग लगा रहे हैं.
जागरूकता की कमी या मनमर्जी! (Lack of awareness or willfulness!)
हालांकि, इसे जागरूकता की कमी कहें या बस अपने मतलब की बात, लेकिन इस आग से ना सिर्फ आसपास के खेतों को नुकसान पहुंच रहा है. बल्कि इसका असर उनके खेतों की मिट्टी पर भी पड़ रहा है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि किसानों को इन नरवाई को आधुनिक तकनीक से निकालने के लिए कृषि विभाग की तरफ से कोई खास जागरूकता पहल नहीं की गई है. यही वजह है कि किसान अपने ही खेतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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खेतों के अवशेष से बनता है बेहतरीन खाद (The best manure is made from the residue of the fields)
जानकारी के मुताबिक, केलों की कटाई के बाद निकलने वाले ठूंठ से उच्च क्वालिटी का खाद बनता है. ये किसानों के फसलों के लिए काफी अच्छा माना जाता है.
आग मिट्टी को करती है बर्बाद (Fire destroys the soil)
किसी भी फसल की कटाई के बाद बचने वाली अवशेष को आग लगाने से मिट्टी को नुकसान होता है. मिट्टी में आग लगने के बाद कुछ पोषण तत्व जैसे न्यूट्रान, जीवित जीवाणु जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. इसका खामियाजा किसानों को फसलों के उत्पादन कम या खराब होने के तौर पर भुगतना पड़ता है. ऐसे में जरूरत है केंद्र से लेकर राज्य सरकारों को इसके लिए किसानों को जागरूक करने की.