आपको तो पता ही होगा कि कोरोना के कहर के चलते कैसे पूरे देश में सख्ती का सिलसिला जारी है. कोरोना की विकराल हो चुकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए हर राज्य अपने यहां लॉकडाउन की मियाद को बढ़ाते जा रहे हैं. अब तो कोरोना के अलावा ब्लैक और व्हाइट फंगस भी लोगों के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है. ऐसे में सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है कि आखिर कैसे इस महामारी के समय अपनी आर्थिक गतिविधियों को भी दुरूस्त रखा जाए.
इन्हीं सब स्थितियों को ध्यान में रखते हुए एशिया की सबसे बड़ी मंडियों की फेहरिस्त में शुमार प्याज मंडी लासलगांव को बंद कर दिया गया था, जिससे प्याज के किसानों को खासा नुकसान हो रहा था. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वे अपनी फसलों को कहां बेचे? नतीजतन, उनकी फसलों को वो वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा था, जिसके वे असल मायने में हकदार हैं. इन्हीं सब समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि इस मंडी के बंद होने से अब प्याज की कीमत आसामान छू सकती है, और काफी हद तक ऐसा देखा भी गया, मगर अब जैसे-जैसे कोरोना से हालात दुरूस्त होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे अब सरकार रियायतों के बिसात को बिछाती जा रही है.
इस बीच एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव को भी अब खोल दिया गया है. सरकार के इस फैसले के बाद से उन सभी किसान भाइयों के चेहरे खिल चुके हैं, जो कल तक तनाव में जीने पर बाध्य हो चुके थे. जिन किसानों को महामारी में यह समझ नहीं आ रहा था कि वे अपनी फसलों को कहां बेचे? उन सभी किसानों के लिए सरकार का यह फैसला राहत का सबब बनकर साबित हो रहा है.
करवाना होगा कोरोना टेस्ट
मंडी अधिकारियों की तरफ से किसानों को साफ निर्देश है कि किसान भाइयों को मंडियों में जाने की इजाजत तभी मिलेगी, जब उनके पास अपनी कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट होगी, लिहाजा मंडी अधिकारियों की तरफ से साफ निर्देश दिए जा चुके हैं कि मंडी आने से पहले अपना कोरोना टेस्ट जरूर करवा लें.
दो बार बंद हो चुकी है मंडी
बता दें कि कोरोना के प्रकोप को ध्यान में रखते हुए लासलगांव मंडी को पहले भी दो बार बंद किया जा चुका है. इससे पहले 19 अप्रैल और 2 मई को मंडी को कोरोना के कहर को ध्यान में रखते हुए बंद किया जा चुका है. वहीं, करीब 18 दिनों की बंदी के बाद इसे खोल दिया गया है, लेकिन बीच में मंडी को 26 मई को खोला गया था.
किसानों को हो रहा बड़ा नुकसान
मंडी बंद होने से किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है. कल तक जिन फसलों को किसान भाई 1800 से 2000 रूपए में प्रति क्विंटल बेचा करते थे. वे अब अपनी फसलों को महज 1000 से 1200 रूपए में बेचने पर मजबूर हो चुके हैं, जिससे किसान भाइयों को भारी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अब माना जा रहा है कि ऐसा नहीं होगा. अब किसान भाइयों को उनकी फसलों को वाजिब दाम मिलेगा.
कई मंडियां पड़ी है बंद
गौरतलब है कि अभी बेशक किसान भाइयों की समस्याओं को देखते हुए एशिया की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव को खोल दिया गया हो, मगर अभी—भी कई मंडियां बंद पड़ी हुई है, जिसमें नासिक की पिंपलगाव बसवंत, नासिक, कलवण, चांदवड, देवला, सटाणा, नामपुर, निफाड, विंचूर, येवला, मनमाड, अभोणा एवं उमराणे मंडियों को भी खोल दिया गया है.