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Updated on: 10 June, 2021 4:02 PM IST
Lasalgaon Onion Market

इन दिनों लासलगांव प्याज बाजार या मंडी काफी चर्चा में है. इस बार मंडी ने हर अमावस्या के दिन अपना संचालन बंद करने की 75 साल पुरानी परंपरा को तोड़ दिया है. लोगों का मानना ​​था कि इस दिन व्यापार करना अशुभ होता है.

इस दिन किसानों को अपने प्याज का परिवहन करने में डर लगता है, लेकिन अब यह परंपरा टूट गई है. किसानों ने इस "अंधविश्वास" के खिलाफ आवाज उठाई है और अमावस्या के दिन व्यापार करने का फैसला किया है.

अमावस्या को बंद रहती थी मंडी

लासलगांव प्याज मंडी की स्थापना 1 अप्रैल, 1947 को हुई. उस समय से ही किसानों और व्यापारियों ने अमावस्या पर मंडी को बंद रखने की परंपरा का पालन किया.

परंपरा तोड़ने के पीछे का कारण

रोजाना मंडी में लगभग 15,000 से 30,000 टन प्याज का कारोबार होता है. मंडी के एक दिन भी बंद रहने से भारी नुकसान होता है. फिर भी, व्यापारियों ने बिना कोई सवाल उठाए या इस परंपरा का विरोध किए बिना परंपरा को जारी रखा. हालांकि, कोरोना महामारी ने यह सब बदल दिया है. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान प्याज बाजार अक्सर बंद रहा. इससे प्याज किसानों को भारी नुकसान हुआ है.

देशभर में प्याज की आपूर्ति

यह मंडी देश के विभिन्न हिस्सों में प्याज की आपूर्ति करती है. प्याज की आपूर्ति में मामूली बदलाव का भी थोक और खुदरा बाजारों पर सीधा असर पड़ता है. लासलगांव प्याज मंडी के व्यापारियों के अनुसार भारत में प्याज की दैनिक आवश्यकता 50,000 से 60,000 टन है. महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भारत दिघोले कहते हैं, “एक दिन बंद का मतलब है प्याज का स्टॉक जमा होना और अगले दिन आवक में वृद्धि. इसका परिणाम किसानों को मिलने वाली कीमत में गिरावट है.

एक और परंपरा

“मार्च के अंत के दौरान 10 दिनों के लिए बाजार बंद करने की एक और परंपरा है. यह एक और तरह का अंधविश्वास है कि समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के दौरान सभी बाजारों को बंद करना पड़ता है. वैसे, तो एपीएमसी और व्यापारियों को कभी भी बाजार बंद नहीं करना चाहिए. लासलगांव मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, किसानों और व्यापारियों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए अमावस्या और शनिवार को व्यापार जारी रहेगा.

आधुनिक किसानों के मुताबिक

कोरोना महामारी के बाद हम सदियों पुरानी परंपराओं और अंधविश्वासों को जारी रखने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं. यह सवाल उठाने और "क्यों" पूछने का समय है. एक किसान ने टिप्पणी की, जब तक आप काम कर रहे हैं या अपना "कर्म" कर रहे हैं, तब तक सब कुछ शुभ है.

लासलगांव प्याज मंडी ने एक बेहतरीन मिसाल कायम की है. यह निराधार परंपराओं को तोड़ने और अंधविश्वासों पर सवाल उठाने का समय है, इसलिए महिला किसानों के मंडी में नीलामी में प्रवेश करने से लेकर अमावस्या पर मंडी के खुले रहने तक यह प्याज बाजार दिखाता है कि हमें नई परिस्थितियों के अनुकूल कैसे होना चाहिए.

English Summary: Lasalgaon onion market breaks 75 years old tradition
Published on: 10 June 2021, 04:11 PM IST

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