Drone Technology: कृषि के बढ़ते महत्व के साथ तकनीकी के मामले में भी विकास जरूरी है. आज भी भारतीय किसान सिंचाई के लिए मानसून की बारिश पर निर्भर हैं और खेती के अन्य पहलुओं के लिए पारंपरिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं, जिस कारण अन्य देशों की तुलना में हमारे देश की कृषि उत्पादन की गुणवत्ता बहुत कम है.
ऐसे में क्या भारत कृषि क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के लिए पारंपरिक कृषि पद्धतियां से बढ़कर कृषि-ड्रोन जैसे अत्याधुनिक तौर तरीकों को बढ़ावा दे सकता है.
ऐसे में “कृषि विमान” (किसान का विमान) ड्रोन, वॉव गो ग्रीन एलएलपी ने अब आधिकारिक तौर पर खुद को भारत के अग्रणी ड्रोन निर्माता के रूप में स्थापित कर लिया है.
मानव रहित हवाई वाहन, या ड्रोन, विभिन्न प्रकार के व्यवसायों में निगरानी के लिए उपयोग किए जाते हैं. अब तक यह ज्यादातर खनन और निर्माण उद्योगों और सेना के द्वारा उपयोग किए जाते थे, लेकिन अब ड्रोन तकनीक अधिक व्यापक रूप से मौजूद है. इसका उपयोग कई कृषि क्षेत्रों में भी किया जा सकता है. चूंकि प्रौद्योगिकी अभी भी भारत में अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, जिस कारण कई व्यवसाय इसे भारतीय किसानों के लिए स्वतंत्र रूप से सुलभ बनाने के लिए काम कर रहे हैं.
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हाल के अध्ययनों का अनुमान है कि 2025 तक कृषि के लिए वैश्विक ड्रोन उद्योग 35% की वार्षिक दर से बढ़ेगा और यह 5.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. कृषि क्षेत्र में मृदा परीक्षण और क्षेत्र विश्लेषण से लेकर फसल की निगरानी, पशुधन प्रबंधन , फसल स्वास्थ्य जांच, जियोफेंसिंग और कई अन्य क्षेत्रों में ड्रोन के का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह तकनीक भारत के कृषि क्षेत्र को बदल रही है और ड्रोन कृषि-प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किसान आय को तिगुना भी किया जा सकता है. ड्रोन के इस्तेमाल से शारीरिक श्रम को कम किया जा सकता है और इससे स्वास्थ्य संबंधी खतरें भी नहीं होता है.