भारत के अधिकतर किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर गैर-पारंपरिक खेती की तरफ अपना रूख कर रहे हैं और इसमें सफलता भी प्राप्त कर रहे हैं. ज्यादातर किसान बागवानी करना पंसद कर रहे हैं और अलग-अलग किस्मों के फल और सब्जियों की खेती करके अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. इसमें नींबू की बागवानी भी शामिल है, नींबू की मांग सालभर रहती है. गर्मियों के मौसम में नींबू को काफी अच्छा फल माना जाता है, इसे शरीर में पानी की कमी न होने के लिए उपयोग में लिया जाता है. कृषि विज्ञान केंद्र, झालावाड़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, डॉ. टी.सी. वर्मा ने बताया कि सेंटर पर नींबू का बगीचा पथरीली जमीन पर लगा हुआ है और इस बगीचे नींबू के लगभग 150 पौधें लगे हुए हैं.
डॉ.टी.सी. वर्मा ने बताया कि, नींबू के बगीचे में उचित मात्रा, उचित प्रबंधन और सही समय पर पोषक तत्वों की पूर्ति से फल उत्पादन काफी अच्छी मात्रा में प्राप्त हो रहा है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि, नींबू के प्रतेक पौधे से लगभग 25 से 30 किलोग्राम फल लगे हुए है.
ये भी पढ़ें: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और भारतीय तिलहन अनुसंधान केंद्र के बीच हुआ MOU
नींबू के बगीचे से अच्छी कमाई
केविके, झालावाड़ के उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अरविन्द नागर ने जानकारी देते हुए बताया कि, जिले की जलवायु और प्राकृतिक संसाधन नींबूवर्गीय फलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है. उन्होंने कहा, संतरे की फसल में लगातार फलन नहीं होने की वजह से झालावांड जिले में संतरा उत्पादन में लागातार गिरावट आ रही है, जिससे संतरा उत्पादन के क्षेत्रफल में भी कमी आ रही है.
डॉ. अरविंद नागर ने किसानों के लिए नींबू का बगीचा लगाना एक अच्छा विकल्प बताया है. जिले के किसान कम उपजाऊ और पथरीली जमीन पर भी नींबू का बगीचा लगाकर अच्छी खासी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.
नौतपा की वजह से मार्केट में नींबू की मांग
कृषि विज्ञान केंद्र, झालावाड़ के प्रसार शिक्षा वैज्ञानिक डॉ. मोहम्मद यूनुस ने बताया कि नींबू की मांग पूरे साल रहती है. खासकर गर्मियों के मौसम में नींबू को शरीर में पानी की कमी न होने के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है. उन्होंने कहा कि, वर्तमान में नौतपा की वजह से मार्केट में नींबू की मांग में बढ़ोतरी आई है, जिस वजह से बाजार में इसकी कीमत 70 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम है.