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Updated on: 3 December, 2019 1:25 PM IST
बाजरा की खेती

भारत में बड़े पैमाने पर बाजरे की खेती की जाती है. यह खरीफ की मुख्य फसल है. संकर व संकुल किस्मों से स्थानीय फसल की तुलना में पैदावार काफी ज्यादा होती है. बाजरा की खेती दाना व चारा दोनों के लिए की जाती है. भारत दुनिया का अग्रणी बाजरा उत्पादक देश है. यहां लगभग 85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरे की खेती की जाती है, जिसमें से लगभग 87 प्रतिशत क्षेत्र उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, और हरियाणा राज्यों में है. बाजरे में करीब 12.5 प्रतिशत जल, 11.6 प्रतिशत प्रोटीन, 5.0 प्रतिशत वसा, 67.0 प्रतिशत कार्बोहाइडे्रट एवं 2.7 प्रतिशत खनिज लवण पाए जाते हैं. आइए जानते है कि बाजरे की खेती कैसे की जाती है और किस तरह इसकी पैदावार बढ़ा सकते है.

बाजरे के लिए खेत की जलवायु और भूमि

बाजरे की फसल सभी तरह की भूमियों में की जा सकती है, लेकिन भूमि अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए. वैसे इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है.इसकी खेती के लिए ज्यादा उपजाऊ भूमियों की जरुरत नहीं होती है. तो वहीं जलवायु की बात करें, तो इसकी खेती गर्म जलवायु और लगभग 400 से 600 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में ठीक से हो जाती है. बाजरे के लिए लगभग  32 से 37 सेल्सियस उपयुक्त माना जाता है. अगर पुष्पन अवस्था में बारिश हो जाए या फिर फव्वरों से सिंचाई कर दी जाए, तो फूल धुल जाने की वजह से बाजरे में दानों का भराव कम होने लगता है.  

बाजरे के लिए खेत की तैयारी

इसकी खेती के लिए गहरी जुताई की जाती है और उत्तम जल निकास के लिए खेत को समतल बनाया जाता है. सबसे पहले खेत की एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. इसके बाद दो-तीन बार जुताई करके बुवाई करनी चाहिए. जिन क्षेत्रों में दीमक व लट का प्रकोप हो, वहां करीब 25 किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से फोरेट अन्तिम जुताई से पूर्व डालनी चाहिए.

बाजरे की बुवाई

अगर खेती बारानी क्षेत्रों में की जा रही है, तो मानसून की पहली बारिश के साथ ही बाजरे की बुवाई कर देनी चाहिए. अगर उत्तरी भारत में फसल कर रहे है, तो इसकी बुवाई के लिए जुलाई का पहला पखवाड़ा ठीक है. वैसे बता दें कि जुलाई के आखिरी नें बुवाई करने से करीब 40 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रतिदिन पैदावार में नुकसान होता है. बुवाई के लिए करीब 5 किलोग्राम प्रति हैक्टर बीज की जरुरत होती है. इसकी फसल करीब 45 से 50 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बोनी चाहिए. इसकी  बुवाई के करीब 10 से 15 दिन बाद अगर पौधे घने हो जाए, तो पौधों की छंटाई कर दें. ध्यान रहे कि पौधे से पौधे की दूरी करीब 8 से 10 सेंटीमीटर रखी जाए. जिससे प्रति हैक्टर क्षेत्र में करीब 1.75 से 2 लाख पौधे प्रति हैक्टर मिल सकें.  

बाजरे के लिए फसल की रोपाई

अगर आप वक्त पर फसल की बुवाई नहीं कर पाए, तो फसल को देरी से बोने की अपेक्षा इसकी रोपाई करना अच्छा माना जाता है. वैसे जुलाई महीने के पहले सप्ताह में नर्सरी तैयार करनी चाहिए. पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए भली प्रकार से खेत की तैयारी करें और करीब 12 से 15 किलोग्राम यूरिया डालें, तो वहीं  2 से 3 सप्ताह बाद पौध की रोपाई मुख्य खेत में करनी चाहिए.  जब पौधों को क्यारियों से उखाड़े, तब ध्यान रहे कि नर्सरी में पर्याप्त नमी हो.  वैसे  जहां तक हो सके रोपाई बारिश वाले दिन करनी चाहिए.

बाजरे के लिए जल प्रबंधन

बाजरा की फसल में फूल आते समय और दाना बनते समय नमी की कमी होना नुकसानदायक है, लेकिन अगर सिंचाई का स्रोत उपलब्ध हो, तो इन क्रांतिक अवस्थाओं पर सिंचाई करना अच्छा होता है.  बता दें कि बाजरे की फसल जल भराव से भी प्रभावित होती है, इसलिए जल निकास का प्रबंध जरुर करें.

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बाजरे की सिंचाई

बाजरा की सिंचित फसल में आवश्यकतानुसार समय -समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए.  पौधे में फुटान होते वक्त सिट्टे निकलते समय और दाना बनतेू समय भूमि में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए.

बाजरे की कटाई

बाजरे की खेती में ध्यान रहे कि पौधों में फूल आने से पहले फसल को चारे के लिहाज से काटना ठीक रहता है. अगर इस दौरान फसल न काट सकें, तो लगभग 50 फीसदी फूल आने पर फसल जरूर काट लेनी चाहिए. तो वहीं बोआई के करीब 65-70 दिनों बाद फसल इस स्थिति में पहुंचती है.

बाजरे की पैदावार

अगर आधुनिक तरीके से बाजरे की फसल की जाए, तो सिंचित अवस्था में इसकी उपज करीब 3 से 4.5 टन दाना और 9 से 10 टन सूखा चारा प्रति हैक्टर मिल जाती है, तो वहीं और असिंचित अवस्था में करीब 2 से 3 टन प्रति हेक्टेयर दाना एवं 6 से 7 टन सूखा चारा मिल जाता है. इसके बाद बाजरे के दानों को अच्छी तरह धूप में सुखा लें और दानों में नमी की मात्रा करीब 8 से 10 प्रतिशत होने पर भंडारण करें.

English Summary: Know the easy way to do advanced cultivation of millet
Published on: 03 December 2019, 01:35 PM IST

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