अधिकतर किसान अपनी उगाई सब्जियां, फल, फूल को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित नहीं रख सकते हैं. इसी कारण कई बार उन्हें भारी नुकसान भी होता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगी, क्योंकि किसानों के एक खास तकनीक विकसित की गई है. इस तकनीक से किसान अपनी सब्जियों, फल और फूल को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकेंगे. दरअसल छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय कृषि मेला (National Agricultural Fair) का आयोजन हुआ, जिसमें किसानों के लिए देसी कोल्ड स्टोर (Desi Cold Store) की तकनीक बताई गई.
क्या है देसी कोल्ड स्टोर तकनीक
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो इस राष्ट्रीय कृषि मेला (National Agricultural Fair) में उद्यान विभाग (forest Department) ने पहली बार देसी कोल्ड स्टोर तकनीक विकसित की है. इसको जीरो एनर्जी कूल चेम्बर (Zero Energy Cool Chamber) का नाम दिया गया है. इस तकनीक से अब शहर के किसानों की तरह गांव के किसान भी हरी सब्जियां, फल, फूल को कई दिनों तक सुरक्षित रख सकते हैं. खास बात है कि इसके लिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक तकनीक को अपनाना नहीं पड़ेगा.
किसानों के लिए बहुत लाभदायक
जीरो एनर्जी कूल चेम्बर की तकनीक किसानों के लिए बहुत मददगार साबित होगी. जब किसान खेत से फसल की तुड़ाई करते हैं, तो उपज को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित नहीं रख पाते हैं, लेकिन इस तकनीक से हरी सब्जियों के साथ फल, फूल को लगभग 14 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर टमाटर की जीवन अवधि 7 दिन होती है, लेकिन अब इस तकनीक को अपनाकर टमाटर को 14 दिन तक सुरक्षित रख सकते हैं. ध्यान दें कि इस दौरान टमाटर का वजन लगभग 4.4 प्रतिशत ही कम होगा.
कम लागत में होगा तैयार
इस तकनीक को किसान बहुत कम लागत में तैयार कर सकते हैं. किसान महज 500 रूपये खर्च करके खुद मिट्टी से कूल चेम्बर को तैयार कर सकता है. बता दें कि जहां प्रदेश में ग्रीष्मकाल के दौरान दिन का तापमान लगभग 43 डिग्री सेल्सियस हो जाता है, साथ ही वातावरण में सापेक्ष आद्रता भी बहुत कम हो जाती है. इस तकनीक में गर्मियों में बाहरी वातावरण से कम से कम 8-10 डिग्री सेल्सियस तापमान कम रहेगा.
एक साथ रख सकते हैं 5 फसल
किसानों को कृषि मेले में इस तकनीक के फायदे और नुकसान की पूरी जानकारी दी गई है. अच्छी बात है कि किसान इस जीरो एनर्जी कूल चेम्बर में एक साथ 5 तरह की फसल रख सकते हैं. इसमें किसी भी प्रकार की बिजली का खर्च भी नहीं होगा.
ICAR से मिली है सहमति
इस तकनीक का निर्माण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पूसा शून्य ऊर्जा शीतल कक्ष में हुआ है. बता दें कि यह तकनीक छत्तीसगढ़ के लिए एकदम नई है, लेकिन राजस्थान, पंजाब, हरियाणा राज्यों के किसान इस तकनीक को अपना रहे हैं.
ऐसे बना सकते हैं देसी फ्रिज
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ईटें, रेत, बांस, सीमेंट, ऊपरी ढक्कन बांस के फ्रेम में खस.
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कक्ष में पानी के लिए बाल्टी, मग, बूंद-बूंद पद्धति आदि.
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संग्रहण के लिए प्लास्टिक की टोकरी.
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कक्ष का निर्माण
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निर्माण के लिए थोड़ी सी ऊपरी सतह चाहिए, जहां पानी की आपूर्ति पास में हो.
देसी फ्रिज बनाने की विधि
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सबसे पहले फर्श पर ईंटों की दोहरी दीवार बना लें. ध्यान कि यह दीवार लगभग 3 इंच जगह छोड़कर लगभग 27 इंच की ऊंचाई तक बनाएं अब कक्ष को पानी से सराबोर करके दोनों दीवारों के बीच की लगभग 3 इंच जगह को गीली रेत से भर दें.
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सूखी घास से बांस के फ्रेम में ढक्कन बनाएं.
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कक्ष को सीधी धूप और बारिश से बचाने के लिए घास से एक छत बना लें.
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