जैसे-जैसे देश में रबी फसलों की बुवाई का समय नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही है. एक तरफ बढ़ती पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. खेतों की जुताई से लेकर कटाई तक में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होता आया है.
ऐसे में पेट्रोल की बढ़ती कीमत ने किसानों की समस्या चार गुनी अधिक बढ़ा दी है. वहीं दूसरी तरफ एक और खबर आ रही है कि देश के तमाम राज्यों से खाद की कमी सामने आ रही हैं. इससे किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्र सरकार ने प्रमुख खाद्य आपूर्ति करने वाले राज्यों में खाद की प्राथमिकता सुनिश्चित करने के लिए एक “क्रैक टीम” का गठन किया है. पहली बार, लगभग 50 कारखानों और बंदरगाहों से लगभग 1,000 रेलहेड्स तक आपूर्ति करने के लिए हब-एंड-स्पोक मॉडल लागू किया जा रहा है.किसानों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने अपनी ओर से बिना देरी किये किसानों के लिए एक स्पेशल टीम का गठन किया है.
आपको बता दें हब-एंड-स्पोक मॉडल का काम एक केंद्रीय बिंदु से सप्लाई के लिए कॉर्डिनेशन और मैनेजमेंट करना है. इसी सिलसिले में पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में शिपमेंट को तेज करने के लिए खाद फर्मों और उनके डीलरों के साथ कई बैठकें की जा रही हैं. उर्वरक विभाग के एक अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबकि, “हमें यकीन है कि कोई संकट नहीं होगा. उन्होंने किसानों को दिलासा देते हुए कहा की किसानों को घबराने की जरुरत नहीं है. टीम खाद की आवाजाही कि निगरानी कर रही है और बंदरगाह अधिकारियों और रेलवे के साथ लगातार बातचीत जारी है, जिससे खाद की आवाजाही तेज और सुनिश्चित हो सके.
पंजाब में मंहगी बिक रही खाद
वैश्विक बाजारों में बढ़ती कीमतों और आपूर्ति-श्रृंखला की कमी ने खाद की उपलब्धता को प्रभावित किया है, जिससे आने वाली सर्दी-बुवाई या रबी की खेती के मौसम को खतरा है. पंजाब जैसे राज्यों के कई जिलों में किसान फसल पोषक तत्वों के लिए लाइन बना रहे हैं, जहां उन्होंने कहा कि कुछ प्रमुख कृषि रसायन लेबल दरों से अधिक पर बिक रहे थे. पंजाब में निजामपुरा वेजिटेबल ग्रोअर्स एसोसिएशन के लखबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने 1,200 रुपये के लेबल मूल्य के मुकाबले 1,400 रुपये देकर दो बैग खाद खरीदें.
DAP की कमी से है सकता है फसलों के उपज पर असर
भारत की सबसे बड़ी फसल-पोषक फर्मों के प्रबंध निदेशक ने कहा कि प्रमुख फसल पोषक तत्वों, विशेष रूप से डाय अमोनियम फॉस्फेट (DAP) खाद की कमी से बुवाई का काम प्रभावित हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ इस बात को अफ़वाह बताते हुए, पंजाब कृषि विभाग के एक अधिकारी अमरीक सिंह ने कहा कि कमी की अफवाहों ने किसानों को घबराने और डीएपी जैसे पोषक तत्वों को अधिक मात्रा में खरीदने के लिए मजबूर कर दिया है. डाय अमोनियम फॉस्फेट (DAP) सर्दियों में बोए गए गेहूं के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है.
कमी की वजह से हो रही धांधली
अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेज वृद्धि, महामारी के चलते फीडस्टॉक या कच्चे माल का कम उत्पादन और शिपिंग अड़चनें संकट के प्रमुख कारण हैं. केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों ने होर्डिंग पर नकेल कसने के लिए अधिकारियों पर दबाव डाला है कि कुछ पोषक तत्व लेबल मूल्य से ऊपर बेचे जा रहे हैं. 14 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने खाद और फसल पोषक तत्वों के लिए अपनी सब्सिडी व्यवस्था के कुछ हिस्सों को बाजार से नीचे की दरों पर प्रदान करना जारी रखा, जबकि गर्मी के मौसम के लिए और आने वाले सर्दियों के महीनों के लिए विशेष छूट की घोषणा की.
पंजाब में गेहूं की बुवाई पर पड़ रहा असर
किसानों और खेती से जुड़ी जब भी कोई बात होती है तो सबसे पहले ज़िक्र पंजाब का होता है. पंजाब में रबी सीजन में 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की खेती होती है. गेहूं की बुवाई के लिए डीएपी एक अति आवश्यक खाद है. इससे इसकी उपज और गुणवत्ता पर काफी असर पड़ता है. लेकिन उपलब्धता नहीं होने के कारण बुवाई सीजन में परेशानी बढ़ गई है. पंजाब में डीएपी छोड़कर अन्य जरूरी खाद की जरूरत से अधिक सप्लाई हुई है.
पंजाब में अक्टूबर के लिए यूरिया की जरूरत 3.5 लाख मीट्रिक टन है जबकि सप्लाई 4.17 एलएमटी का हुआ है. वहीं डीएपी खाद की मांग 2.75 एलएमटी है जबकि आपूर्ति 1.72 एलएमटी की हुई है. पंजाब में मांग के मुकाबले 1.03 एलएमटी डीएपी की कमी है.