छत्तीसगढ़ पशुपालकों के लिए खुशखबरी है. दरअसल, राज्य में अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गो-मूत्र खरीदने का ऐलान किया है. इस विषय में सरकार का कहना है कि ऐसा करने से एक तो पशुपालकों को फायदा मिलेगा और दूसरा गो-मूत्र का इस्तेमाल कृषि कार्य में किया जाएगा.
इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने दी है. उन्होंने बताया कि, छत्तीसगढ़ सरकार अब राज्य में पशुपालकों की आय बढ़ाने पर काम कर रही है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि गो-मूत्र की खरीदारी उसी तरह से की जाएगी. जिस तरह से राज्य में गोबर की खरीद की जाती है.
गो-मूत्र परीक्षण के लिए दो विश्वविद्यालय को सौंपी जिम्मेदारी
आपको बता दें कि, सरकार गो- मूत्र खरीदने से पहले वैज्ञानिक तरीकों से इसके फायदों के बारे में प्रमाणित करना चाहती है. इसके लिए कृषि विभाग ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (Indira Gandhi Agricultural University) और दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय में गो-मूत्र का कृषि उपयोग के तकनीकी परीक्षण की पूरी जिम्मेदारी सौंपी है. विश्वविद्यालयों को कृषि विभाग ने गो-मूत्र से जुड़े सभी कार्यों को 12 भागों में बांटा गया है.
यह दोनों ही विश्वविद्यालय गो-मूत्र के उपयोगिता जैसे कि गो-मूत्र उत्पाद तैयार करने वाले कृषकों, समूहों, संस्थाओं को सूचीबद्ध और साथ ही कृषि क्षेत्र में गो-मूत्र का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए विश्वविद्यालय को गो- मूत्र का परीक्षण करने के लिए लो-कास्ट स्पॉट टेस्ट (low-cast spot test) करने के लिए भी मंजूरी दी गई है.
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गो-मूत्र योजना पर तेजी से काम किया जा रहा
राज्य में आवारा गायों द्वारा सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने व बूढ़ी गायों की सुरक्षा के लिए बघेल सरकार ने गौधन न्याय योजना शुरू की थी. इसके अलावा इस योजना में पशुपालकों से गाय का गोबर भी खरीदती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) ने 20 महीने में लगभग 64 लाख क्विंटल तक गोबर की खरीद की और साथ ही करीब 20 लाख क्विंटल जैविक वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया है.
सरकार का कहना है कि, अब राज्य में जैविक कीटनाशकों और कवकनाशी की जरूरत है. इसके लिए गोमूत्र सबसे अच्छी सामग्री है. इसलिए सरकार अब राज्य में गो-मूत्र खरीदने की योजना पर तेजी से काम कर रही है. फिलहाल योजना का अंतिम मसौदा तैयार करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से विचार-विमर्श किया जा रहा है.