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Updated on: 9 February, 2022 3:03 PM IST
"Budget Ki Baat, Kisanon Ke Sath" Webinar

बजट 2022 (Budget 2022) की घोषणा में किसानों के हित के लिए लगातार अहम कदम उठाए गए हैं. कृषि और पशुपालन क्षेत्र (Agriculture & Animal Husbandry) को ना सिर्फ बढ़ावा देने की बात की गयी है, बल्कि अच्छी खासी आर्थिक मदद प्रदान करने का फैसला भी लिया गया है. इसी कड़ी में कृषि जागरण ने 8 फरवरी को "बजट की बात, किसानों के साथ" वेबिनार आयोजित किया गया. इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य कृषि बजट 2022 पर चर्चा करना और किसानों की गूंज को गांव-गांव तक ले जाना था ताकि केंद्र सरकार उनके लिए अहम कदम उठा सकें.

सबसे पहले इस वेबिनार में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भरत भूषण त्यागी (Padma Shri Awardee Bharat Bhushan Tyagi) को आमंत्रित किया गया. जहां उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "नदी तटीय क्षेत्र को बायो डाइवर्सिटी और किसानों को आर्थिक मदद देने की एक अहम पहल है. इसके अलावा किसानों को नेचुरल फार्मिंग की अहमियत पर बात करने के साथ इसको बढ़ावा देने की बात कही.

खास बात यह है कि इन्होंने बजट में तन-मन-धन तीनों पर ज़ोर देने को कहा " इसके बाद प्रगतिशील किसान नरेंद्र सिंह महरा (Progressive farmer Narendra Singh Mehra) ने भरत भूषण के इस तथ्य को समर्थन दिया और कहा कि किसानों को पहाड़ी क्षेत्रों में कई तरह की मानसिक और शारीरिक परेशानियों से गुज़रना पड़ता है, जिसे नज़रअंदाज कर दिया जाता है."

इसके बाद वेबिनार में आगे प्रगतिशील किसान रविंद्र चौधरी (Progressive Farmer Ravindra Choudhary) का कहना है कि "कृषि जागरण की तरह ही कृषि मंत्रायल को भी इस तरह का आयोजन करना चाहिए, जिससे वो किसानों की परेशानी सुन सके और उनके सुझाव पर भी नज़र डाल सकें. इसके अलावा उन्होंने कहा ड्रोन शब्द सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन इसका इस्तेमाल करना किसानों के लिए खेती में उतना ही चुनौतीपूर्ण है.

भारत के लेमन मैन कहे जाने वाले किसान आनंद मिश्रा (Lemon Man Anand Mishra) ने सबसे पहले कहा कि "प्राकृतिक खेती किसानों के लिए बहुत जरुरी है, दूसरा नाबार्ड ने एग्रीकल्चर को जो बढ़ावा दिया है वो सराहनीय है. इसके अलावा बजट 2022 में तिलहन को बढ़ावा देना सरकार का एक बेहतरीन कदम रहा है."

आगे इनका कहना है कि "किसानों को अब बहुत ठोकर लग चुकी है, अब उन्हें "ठाकुर" की जरूरत है यानि किसी एक्सपर्ट की जरुरत है, क्योंकि किसान एक दूसरे को देखकर ही सीखते हैं. इसके अलावा इन्होंने केंद्र सरकार से खेती में सिस्टम के साथ बागवानी के लिए बीमा की मांग की है."

इसके अलावा किसान जगमोहन सिंह ने कृषि जागरण के प्लेटफार्म पर कृषि बजट को लेकर सरकार से अनुरोध किया कि पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के लिए इसका अलग बजट तय किया जाना चाहिए”.

भारतीय किसान संघ के सौरव उपाध्याय (Saurav Upadhyay of the Indian Farmers Association) का कहना है कि "नेचुरल फार्मिंग कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन अगर आप गांव में जायेंगे, तो वहां किसान अब भी इस शब्द से अनजान हैं. सरकार को इसके लिए विलेज पॉलिसी (Village Policy) बनानी जरुरी है. जहां लोगों के बीच इसकी जागरूकता फैल सके.

इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि ड्रोन खेती में सरकार ने बढ़ावा तो दिया है, लेकिन उन्हें यह सोचना चाहिए कि देश में ज़्यादातर मजदूर और भूमिहीन किसान है. यदि ड्रोन खेती उपयोग में आ जाती है, तो सबसे ज्यादा ऐसे किसानों को ही आघात होगा. आगे उन्होंने अपना सुझाव देते हुए कहा कि देश को कृषि प्रधान देश बनाने के लिए सरकार को गांव तक आना पड़ेगा और उर्वरकों पर ज्यादा सब्सिडी देने की ज़रूरत है. इसके अलावा किसानों की हर फसल पर एमएसपी को बनाना और बिचौलिये को हटाना पर सौरव जी ने ज़ोर दिया है."

कृषि प्रधान देश में बागवानी फसलों का बीमा नहीं है. ऐसे में आनन्द मिश्रा ने कृषि जागरण के फाउंडर एंड एडिटर इन चीफ Mr. M.C Dominic से निवेदन करते हुए कहा की हम चाहते हैं आप हमारी आवाज सरकार तक पहुंचाएं, ताकि बागवानी फसलों में भी बीमा दी जाए.

ऐसे में कृषि जागरण अपने सभी किसान भाइयों को ये आश्वस्त करता है कि उनकी ये मांग सरकार तक जरूर पहुंचाई जाएगी, ताकि सरकार इस पर विचार कर सके.

वहीं महिला किसान किरण राणा (Female Farmer Kiran Rana) का भी कहना है कि "नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को और ज्यादा प्रयास करने की जरुरत है साथ ही किसान सम्मान निधि योजना का बजट भी बढ़ाना जरुरी है."

प्रगतिशील किसान गगन सिंह राजपूत (Progressive Farmer Gagan Singh Rajput) ने कहा कि "C2+50 फॉर्मूला पर ज़ोर दिया जाना चाहिए और किसानों के लिए एमएसपी लानी चाहिए. इसके अलावा, फसल बीमा योजना में प्रक्रिया सरल होनी चाहिए, जिससे किसानों को तुरतं फसल नष्ट होने पर बीमा मिल सके".

इसके अलावा जगमोहन सिंह राणा ने कहा कि "कृषि जागरण की तरह ही देश के सभी मीडिया चैनल पर कृषि संबंधी प्रोग्राम चलाये जाने चाहिए, जिससे किसानों की बातों को सुना और समझा जा सके".

वहीं आईसीएआर के सीनियर साइंटिस्ट डॉ विकास कुमार (Dr. Vikas Kumar, Senior Scientist, ICAR) का कहना है कि "फसल बीमा योजना से किसानों को काफी लाभ हो रहा है इससे उनको काफी आर्थिक मदद दी जा रही है और किसानों के लिए चलाई जाने वाली सारी योजनाएं उनको काफी लाभ और सुविधा दे रही है."

वहीं ज्यादातर किसानों का यह कहना है कि कृषि जागरण हमारे लिए एक ऐसा मंच है, जहां किसानों की आवाज़ सबसे पहले सुनी और समझी जाती हैं."

प्रगतिशील किसान अश्विनी सिंह चौहान (Progressive Farmer Ashwini Singh Chauhan) का यह कहना है कि "केंद्र सरकार का बजट 2022 किसानों के लिए एक मीठी बातें है.  इस साल के बजट में किसानों के लिए कुछ किया ही नहीं गया है, बीज से लेकर उर्वरकों के दाम इतने ज्यादा हो गए हैं लेकिन फसल का दाम वहीँ का वहीँ है. बजट 2022 में किसानों के बजट को बढ़ाने के बजाये घटा दिया गया है इसलिए यह किसानों की हित में नहीं है".

आगे उनका कहना है कि "किसी लड़ाई में जाने से पहले उसके लिए तैयार होना जरूरी होता है. यानि जैविक खेती को बढ़ावा देने से पहले आपको इसके बीजों पर काम करना चाहिए था. जबतक बीज हाइब्रिड रहेंगे, तब तक रासायनिक खेती को रोका नहीं जा सकता है."

इसी के साथ इस वेबिनार को आगे बढ़ाते हुए किसान हरपाल सिंह डगर, मनोज भट्ट, महेंद्र सिंह मेहरा ने इस चर्चा में अपने विचार व्यक्त करते हुए किसानों के हित की बात कहीं. यदि आप भी कृषि जागरण के आने वाले वेबिनार में जुड़ना चाहते हैं और अपनी आवाज़ की गूंज दूर तक पहुंचना चाहते हैं तो हमे कमेंट कर के जरूर बताएं.

English Summary: In "Budget ki Baat, Kisanon ke Sath" Webinar, why is there some happiness and sadness in the minds of farmers?
Published on: 09 February 2022, 03:08 PM IST

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