कृषि और स्वास्थ्य सेवा के जीवन विज्ञान (Life Science) क्षेत्रों में महारत हासिल करने वाले वैश्विक उद्यम बेयर ने बुधवार यानी 26 अप्रैल, 2023 को एक राष्ट्रीय संगोष्ठी "इंडिया हॉर्टिकल्चर फ्यूचर फोरम 2023" (India Horticulture Future Forum 2023) का आयोजन किया. इसका उद्देश्य भारतीय बागवानी और पोषण सुरक्षा चिंताओं के भविष्य पर विचार-विमर्श करना था. पोषण सुरक्षा से जुड़ी इन चिंताओं को फलों और सब्जियों के सेगमेंट के माध्यम से दूर किया जा सकता है.
अपनी तरह के इस अनूठे आयोजन में बेहतर आर्थिक संभावनाओं के लिए छोटे किसानों को सशक्त बनाने के नजरिए से इस क्षेत्र की चुनौतियों, अवसरों और प्रगति पर प्रकाश डाला गया. इस कार्यक्रम में प्रभावी नीतियों, योजनाओं, कार्यान्वयन मॉडल और क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यक्रमों पर पैनल चर्चा के साथ-साथ प्रस्तुतियां शामिल थीं. कार्यक्रम में वरिष्ठ नीति निर्माताओं, नियामकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, कई कॉरपोरेट्स और वित्तीय संस्थानों और आयातक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
2021 में वैश्विक बागवानी बाजार (Global Horticulture Market) का आकार 20.4 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया था और 2030 तक इसके 56.5 अरब अमेरिकी डॉलर को पार करने की उम्मीद है. इंडिया हॉर्टिकल्चर फ्यूचर फोरम 2023 ने क्षेत्र में विकास के अवसरों पर चर्चा करते हुए भारत-केंद्रित परिप्रेक्ष्य के साथ व्यावहारिक सत्र आयोजित किए. इस कार्यक्रम में "बागवानी पर केंद्रित एगटेक क्रांति," "बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के लिए फल और सब्जियां," "बागवानी में भारत के लिए निर्यात अवसर," और "नीतिगत विकास और प्रमुख विनियमों में अंतर्दृष्टि" सहित कई आकर्षक सत्र शामिल थे.
इन सभी प्रमुख स्तंभों पर विशेषज्ञों द्वारा विचार-विमर्श किया गया , जिसका उद्देश्य क्षेृत्र के सतत विकास के लिए प्रमुख चिंताओं और अवसरों को दूर करने के लिए विविधता पूर्ण वर्कस्ट्रीम बनाना था. ग्रांट थॉर्नटन भारत एलएलपी ने इस आयोजन के लिए नॉलेज पार्टनर के रूप में काम किया और बेयर के साथ इन टास्क फोर्स को सुविधा प्रदान करेगा.
आज देश बड़े पैमाने पर खाद्य सुरक्षा को लक्षित कर रहा
आयोजन के दौरान दिए गए एक विशेष संदेश में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र तोमर ने कहा, “देश आज बड़े पैमाने पर खाद्य सुरक्षा के मुद्दों को लक्षित करने से लेकर पोषण सुरक्षा के मुद्दों तक पहुंच गया है. इन्हें देखते हुए, बागवानी उत्पादन दोनों चुनौतियों का समाधान करने की कुंजी है."
सम्मेलन में बोलते हुए, डी नारायण, अध्यक्ष, दक्षिण एशिया और स्मॉलहोल्डर फार्मिंग के वैश्विक प्रमुख ने कहा, “भारत अगले 3 दशक के भीतर बागवानी फसलों की मांग और खपत में तीन गुना वृद्धि का गवाह बनेगा, इसके अलावा वैश्विक निर्यात से जुड़े नए अवसर भी होंगे. इस संदर्भ में, इंडिया हॉर्टिकल्चर फ्यूचर फोरम जमीनी स्तर पर पोषण सुरक्षा और राष्ट्रीय आर्थिक विकास के क्षेत्र में बागवानी सेगमेंट की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए एक सहयोगी माहौल बनाने का एक प्रयास है, जो लाखों छोटे किसानों की आय और आजीविका को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. नए विचारों और हस्तक्षेपों के माध्यम से बड़े पैमाने पर कुछ प्रमुख चुनौतियों को हल करने के लिए एक स्पष्ट कार्रवाई योग्य एजेंडा चलाने के लिए हमें सरकार और संपूर्ण वैल्यू चैन के हितधारकों से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया से हम अभिभूत हैं.
ग्रांट थॉर्नटन एलएलपी के पार्टनर प्रोफेसर वी. पद्मानंद ने कहा, “बागवानी वैल्यू चैन को मजबूत करने के लिए उत्पादन, कटाई के बाद और प्रसंस्करण के बुनियादी ढांचे और विपणन और रसद क्षेत्र में हस्तक्षेप शामिल होगा. टीम ग्रांट थॉर्नटन इन क्षेत्रों में सरकार, निजी हितधारकों, किसानों के साथ-साथ वैश्विक विकास भागीदारों के साथ बड़े पैमाने पर काम कर रही है. समन्वित संयुक्त कार्रवाई के माध्यम से देशभर में सर्वोत्तम प्रथाओं और मॉडलों को उन्नत करना समय की मांग है.”
भारत निर्यात, नीति विकास और प्रमुख विनियमों को प्राथमिकता देकर खाद्य और पेय उद्योग में अवसरों की सक्रिय रूप से तलाश कर रहा है. राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM), 2005-06 में शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य बागवानी उत्पादन में वृद्धि करना और किसानों की आय को दोगुना करना है. क्षेत्र की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बावजूद, इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि फसल कटाई के बाद का नुकसान, अपर्याप्त भंडारण बुनियादी ढांचा, मौसमी और बाजार में उतार-चढ़ाव आदि.
संगोष्ठी में, विशेषज्ञों ने बागवानी उत्पादन और मूल्य श्रृंखला प्रणाली को एकीकृत और पुनर्जीवित करने, स्वस्थ और अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देने और किसानों की आय में सुधार करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की. इन समस्याओं के व्यवहार्य समाधान और भारतीय बागवानी की अप्रयुक्त क्षमता पर भी उपस्थित लोगों द्वारा चर्चा की गई.