मक्का एक नकदी फसल है, जिसकी खेती भारत में रबी और खरीफ के सीजन में की जाती है. मक्का की फसल में कार्बोहाइड्रेट उचित मात्रा में पाया जाता है. ज्यादातर किसान इसकी खेती लाभ कमाने के लिए करते हैं.
इसी कारण से इसकी खेती को दोहरी लाभ वाली फसल भी माना जाता है, लेकिन कई बार यह भी देखा गया है कि किसान मक्के की फसल (corn crop) से अधिक पैदावार प्राप्त नहीं कर पाते हैं, जिससे उन्हें बाजार में अच्छा लाभ प्राप्त नहीं होता है. किसानों की इस समस्या के लिए कई कृषि विभाग अपने-अपने स्तर पर प्रयास करते रहते हैं. इसी क्रम में आईसीएआर-आईआईएमआर (ICAR-IIMR) ने किसानों के लिए मक्का की 4 नई हाइब्रिड किस्मों को लॉन्च कर दिया है, जिससे किसानों को मक्का की खेती (maize cultivation) से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सके.
मक्का की फसल के लिए नई हाइब्रिड किस्में (New hybrid varieties for maize crop)
आईसीएआर-आईआईएमआर (ICAR-IIMR) संस्थान ने किसानों के लिए मक्का की 4 नई हाइब्रिड किस्मों को तैयार किया है. जिससे उन्हें अच्छी पैदावार प्राप्त होगी. यह नई हाइब्रिड किस्में नाम यह है.
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पीएमएच-1एलपी (Maize PMH-1 LP)
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आईएमएच-222(IMH-222)
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आईएमएच- 223 (IMH-223)
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आईएमएच-224 (IMH-224)
इन किस्मों में पीएमएच-1 एलपी (PMH-1 LP) को लेकर विशेषज्ञों का मानना हैं कि इस किस्में में लगभग 36 प्रतिशत फाइटिक एसिड और अकार्बनिक फॉस्फेट की 140 प्रतिशत पाया जाता है. किसान इस किस्म की इस्तेमाल से लगभग 95 क्विंटल से भी अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
इन किस्मों के फायदे (Advantages of these varieties)
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इन किस्मों की फसल में कीट-रोगों लगने की संभावना बेहद कम होती है.
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विशेषज्ञों का कहना है कि इन किस्मों से फसल में मेडिस लीफ ब्लाइट, टर्सिकम लीफ ब्लाइट, चारकोल रोट जैसे खतरनाक रोग के लिए किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं है.
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इसके अलावा यह भी देखने को मिला है कि इस किस्म में मक्का स्टेम बेधक और फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रभाव कम होता है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन हाइब्रिड किस्मों में फाइटिक एसिड की कम मात्रा और लोहे और जस्ता खनिज तत्व भी मौजूद होते हैं. इसलिए आप इन्हें पोल्ट्री क्षेत्र में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.