अगर फसलों की खेती करते समय बारिश हो जाए, तो इससे उन्हें भारी नुकसान पहुंचता है. ऐसे मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में मौसम बदल सकता है और देश के अधिकतर राज्यों में बारिश होने की संभावना है.
ऐसे में सरसों की खेती करने वाले (Mustard Cultivation) किसानों पर खतरा मंडराने लगा है. इसका प्रमाण अवध क्षेत्र में आई झमाझम बारिश से मिल चुका है.
यहां आई मूसलाधार बारिश से पारा लुढ़ककर 7 डिग्री सेल्सियस तक आ गया था. जिस कारण सरसों की खेती को काफी नुकसान हुआ. अब आने वाले समय में एक बार फिर तापमान के गिरने का अंदेशा लगाया जा रहा है, ऐसे में सरसों किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है.
सरसों की खेती करने वाले किसान रहें सतर्क (Mustard farmer be alert)
बारिश के कारण सरसों की खड़ी फसल भी खराब होने की संभावना बढ़ गई है. इसलिए किसानों को खेत से पानी निकासी की सभी तैयारियां कर लेनी चाहिए. हालांकि गेहूं, गन्ना, अरहर तथा मटर की फसल को निसंदेह इससे फायदा ही होगा.
पानी की निकासी के बाद भी सबसे बड़ा खतरा सरसों की फसल को कीटों से होगा. इसके लिए तैयारी रखनी जरूरी है. ध्यान रहे कि सरसों में अनेक प्रकार के कीट बारिश के बाद लगते हैं. ऐसे में इन कीटों की सही पहचान कर उनके रोकथाम के उपाय करने चाहिए. सबसे अधिक बालों वाली सुंडी कीट से सतर्क रहने की जरूरत है.
यह खबर भी पढ़ें : Sarso Ki Kheti: सरसों की नई किस्म RH 725 देगी रिकार्ड तोड़ पैदावार
गौरतलब है कि इस कीट को आम भाषा में कातरा भी कहा जाता है. इस कीट की तितली भूरे रंग की होती है, जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है. ये पत्तियों की निचली सतह पर अण्डे देती है. ध्यान रहे कि इसके अण्डे समूह में हल्के पीले रंग के होते हैं. पूर्ण विकसित सुंडी का आकार 3-5 सैं. मी. लम्बा हो सकता है. इसका शरीर पूर्ण रूप से बालों से ढका होता है और इसके शरीर के अगले व पिछले भाग के बाल काले रंग के होते हैं.
ऐसे करें नियंत्रण (Control like this)
ऐसी पत्तियां जिन पर अण्डे समूह में हो उन्हें तोड़कर मिट्टी में दबा दें. इससे अण्डें नष्ट जाते हैं. इसी तरह छोटी सुंडियों सहित पत्तियों को केरोसीन या रसायन युक्त पानी में डुबोकर नष्ट कर दें.