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Updated on: 24 November, 2021 5:53 PM IST

कृषि कानून को लेकर जो मामला अब तक अटका पड़ा था. चुनाव आते ही समस्या का समाधान मनो चल कर किसानों के सामने आ गया है. जिस कृषि कानून बिल को लेकर पिछले एक साल से देशभर में दुःख और डर का माहौल था, आज वो ख़त्म होता नजर आ रहा है.

आपको बता दें शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता से कृषि कानून बिल को वापस लेने की बात कहे थे.

जिसके बाद देश की जनता और ख़ासकर किसानों में बेचैनी बढ़ती जा रही थी. किसी का कहना था सरकार ने आखिरकार किसानों की बात मान ली. तो वहीं किसानों का एक ऐसा भी गुट था जिनका मानना था की यह चुनाव से पहले का प्रलोभन है. वहीं इस सिलसिले में आज की बैठक में क्या हुआ क्या नहीं आइये हम आपको बतातें हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की ओर सरकार ने पहला कदम बढ़ा दिया है. बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में तीनों कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. सूत्रों के हवाले से ये पता चला है की मीटिंग में कानून रद्द करने वाला बिल कैबिनेट में मंजूर कर लिया गया है. हालांकि, इस बारे में अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा. इस बिल को 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Session) में पेश किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि कृषि मंत्रालय ने पीएमओ की सिफारिश पर कानून रद्द करने का बिल तैयार किया है.

क्या हैं वो तीन कृषि कानून

1.कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 कैबिनेट बैठक के बाद आगे क्या?

आपको बता दें जिस तरह कानून बनाने के लिए संसद की मंजूरी जरूरी होती है, उसी तरह रद्द करने के लिए भी संसद की मंजूरी जरूरी है. ऐसे में जो किसान यह सोच कर बैठे है की सरकार के सिर्फ एक बयान से यह सब रातों-रात ख़त्म हो जाएगा तो उनके लिए बता दूँ कि ऐसा संभव नहीं है. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा. इस बिल पर बहस होगी और वोटिंग होगी. इसके बाद बिल पास होते ही तीनों कृषि कानून रद्द हो जाएंगे.

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सरकार ने आखिर क्यों लिया कानून वापस

जून 2020 में मोदी सरकार इन तीनों कृषि कानूनों का अध्यादेश लेकर आई. उस समय सरकार ने किसानों को आश्वस्त करते हुए कहा था की यह कृषि कानून उनके भलाई के लिए है. हालाँकि उस  समय भी किसानों ने इसका जमकर विरोध किया था. उसके बाद सितंबर में ये तीनों कानून किसानों के मन के खिलाफ जाकर पास हो गया. उसके बाद 27 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति ने भी इन्हें मंजूरी दे दी. कानून बनने के बाद किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इसके बाद 26 नवंबर को पंजाब, यूपी, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली बॉर्डर पर जम गए और आंदोलन शुरू कर दिया.

जिस वजह से आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. आंदोलन के बढ़ते रूप को देखते हुए देश का उच्च न्यायलय सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसान संगठन से इसका समाधान जल्द से जल्द निकलने को कहा. सरकार और किसान संगठनों के बीच 7 बार हुई  वार्ता के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला. सरकार और किसानों के बीच कोई भी वार्ता अंजाम तक पहुंचने से पहले ही नाकाम होता नज़र आ रहा था.लेकिन अब करीब सालभर से चल रहे आंदोलन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों कानूनों को रद्द करने की घोषणा की.

English Summary: Government's big decision regarding agriculture law bill !
Published on: 24 November 2021, 05:58 PM IST

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