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Updated on: 3 November, 2020 12:25 PM IST

सरकार का लक्ष्य है कि साल 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करना है, लेकिन मौजूदा हालात इस सपने पर पानी फेरत नजर आ रहे हैं, क्योंकि सरकार ने आलू के बीज (Potato seed rate) का सरकारी रेट ही दोगुना कर दिया है. एक तरफ किसान डीजल (Diesel) और खाद की महंगाई झेल रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ अब किसानों पर आलू के महंगे बीज की मार पड़ गई है. इस साल 35 रुपए किलो के रेट पर बीज बेचा जा रहा है, जबकि पिछले साल इसका दाम 12 से 18 रुपए किलो तक ही था. ऐसे में किसानों का कहना है कि जब किसानों को सरकार ही दोगुना रेट पर बीज बेच रही है, तो फिर निजी कंपनियां एक कदम और आगे बढ़ जाएंगी औऱ मुनाफ़ा कमाएंगी.

आपको बता दें कि कई किसान निजी क्षेत्र से 60 रुपए किलो तक बीज खरीदकर फसल की बुवाई कर रहे हैं. आलू उत्पादक एक किसान का कहना है कि इसके बीज का रेट क्वालिटी पर तय किया जाता है. सरकार 18 रुपये वाला बीज 35 रुपए के रेट पर बेच रही है. इसके अलावा चंबल फर्टिलाइजर के आलू का बीज पिछले साल 30 रुपए किलो की दर पर खरीदा था, लेकिन इस साल उसने 56 रुपए का रेट कर दिया है. वैसे एक एकड़ में 22 से 25 क्विंटल बीज लगता है. पिछले साल प्रति एकड़ 75 हजार रुपए का बीज लगा था, जो कि इस साल बढ़कर 1 लाख 40 हजार रुपए हो गया है. इसका मतलब है कि प्रति एकड़ 65 हजार रुपए की लागत बढ़ गई है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले साल भी आलू का रेट कम नहीं होगा, क्योंकि इस साल महंगाई की वजह से बुवाई कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

इसके अलावा डीजल और खाद (Fertilizer Prices) का रेट भी काफी बढ़ गया है. पिछले साल की बात करें, तो 18 से 20 रुपए प्रति लीटर डीजल का रेट बढ़ा है. इतना हीं नहीं, खाद और कीटनाशकों के दाम भी काफी बढ़ गए हैं. इस तरह आलू पैदा करने की लागत प्रति किलो 12 रुपए से बढ़कर 16 रुपए किलो तक पहुंच जाएगी. ऐसे में किसान शक्ति संघ का कहना है कि सरकार को आलू का बीज 50 प्रतिसत सब्सिडी पर उपलब्ध कराना चाहिए.

English Summary: Government doubles the price of potato seed
Published on: 03 November 2020, 12:29 PM IST

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