केंद्र सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए लगातार कई प्रकार की योजनाएं लेकर आ रही है. इसके जरिए किसानों को खेती संबंधी कई कार्यों में आर्थिक मदद मिलती है. इन योजनाओं के लिए भारी भरकम राशि भी खर्च की जाती है.
अगर आकंड़ों को देखा जाए, तो केंद्र सरकार द्वारा कृषि परियोजनाओं और मिशनों पर साल 2016 -17 में लगभग 30, 167 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. वहीं, यह खर्च साल 2020-21 में बढ़कर लगभग 41,417 करोड़ रुपए हो गया.
हालांकि, इस खर्च के तहत कृषि मशीनरी, सूक्ष्म सिंचाई और जैविक खेती जैसी महत्वपूर्ण चीजों के लिए 25 प्रतिशत राशि ही खर्च की है. इसके अलावा सरकार ने 2 मुख्य योजनाओं पर 75 फीसदी की बड़ी राशि खर्च की है, जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और किसानों को दिये जाने वाले शॉर्ट टर्म लोन में सब्सिडी शामिल है.
13 प्रमुख योजनाओं पर खर्च किए करोड़ रुपए (Crores spent on 13 major schemes)
कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए कृषि यत्रों के इस्तेमाल पर काफी जोर दिया जा रहा है. वहीं, ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार सब्सिडी भी देती है, साथ ही किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है.
इसके बावजूद कुल खर्च का एक छोटा हिस्सा प्राप्त हुआ है. अगर पिछले महीने लोकसभा में पेश कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों को देखा जाए, तो पिछले 5 सालों में सरकार ने 13 प्रमुख योजनाओं पर 1,75,533 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर खर्च (Expenditure on PM Crop Insurance Scheme)
बहुत ही खास बात यह है कि पिछले 5 सालों की योजनाओं के कुल खर्च का 36 प्रतिशत सिर्फ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर खर्च किया है. इस योजना के जरिये एक न्यूनतम एकसमान प्रीमियम पर फसलों की क्षतिपूर्ति दी जाती है. वहीं, किसानों के हिस्से से अधिक प्रीमियम लागत पर सब्सिडी दी जाती है. इस योजना को साल 2016 में शुरू किया गया.
इसके तहत पूर्व-पीएमएफबीवाई योजनाओं के दौरान प्रति हेक्टेयर औसत बीमा राशि 15,100 रुपए से बढ़ाकर 40,700 रुपए कर दी गई है. दिलचस्प बात यह है कि खरीफ सीजन में फसल बीमा का विकल्प चुनने वाले किसानों की संख्या 2018 में 18.08 प्रतिशत थी, जो कि साल 2020 में घटकर 16.55 प्रतिशत हो गई है. इसी अवधि के दौरान रबी फसल के लिए भी बीमा कराने वाले किसानों की संख्या 19.18 प्रतिशत से घटकर 17.39 प्रतिशत हो गई.
किसानों को दिया जाने वाला लोन (Loan to farmers)
आपको बता दें कि सरकार की तरफ से कृषि क्षेत्र को ऋण के प्रवाह के लिए वार्षिक लक्ष्य तय करती है. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 13.50 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य था, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य था, तो वहीं वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 16.50 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य तय किया गया है.
इसके अलावा फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए 5 सालों में सिर्फ 1,749 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. यह कृषि योजनाओं पर कुल खर्च का सिर्फ 1 प्रतिशत है. इसके साथ ही कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन के लिए 4,220 रुपए खर्च किए गए हैं.