गंगा नदी (Ganga River), भारत के उत्तरी जलोढ़ मैदानों (Northern alluvial plains) पर रहने वाले लाखों लोगों के स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिकता के लिए महत्वपूर्ण है. नदी का उपयोग पीने, बिजली उत्पादन, सिंचाई, मछली उत्पादन और धार्मिक तीर्थयात्राओं के लिए किया जाता है. मगर इसको साफ़ और स्वच्छ करना एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. ऐसे में सरकार द्वारा एक अहम कदम उठाया गया है.
पवित्र नदी गंगा मैली कैसे हुई (How did the holy river Ganga become dirty)
गंगा नदी सीवेज और औद्योगिक कचरे (Sewage and industrial waste), शवों के निपटान (Disposal of dead bodies), वनों की कटाई (Deforestation), उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग (Excessive use of fertilizers and pesticides) व स्नान और धार्मिक तीर्थयात्राओं (Baths and religious pilgrimages) से प्रदूषण के लगातार खतरे में है.
पूरी तरह से अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि और नदी में औद्योगिक और मानव अपशिष्ट के निर्वहन को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों को लागू करने में विफलता के कारण, यह हर दिन खतरनाक रूप से प्रदूषित हो रहा है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा हो रहे हैं. मगर इस समस्या से निपटने के लिए समाधान निकाला जा चुका है.
मैली गंगा नदी का ऐसा होगा निपटारा (Such will be the disposal of dirty Ganga river)
गंगा से एकत्रित गंदे पानी को साफ कर औद्योगिक इकाइयों को बेचने के अलावा सरकार गंगा नदी की गाद से खाद (Fertilizer from the silt of river Ganges) बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है. इससे जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा मिलेगा और रसायनों को गंगा में प्रवेश करने से भी रोका जा सकेगा. इसी संदर्भ में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga) के महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि फास्फोरस और पोषक तत्वों से भरपूर गंगा का उपचारित पानी फसलों के लिए बहुत फायदेमंद है.
किसानों की खाद बनेगी गंगा की गाद (Ganga's silt will become fertilizer for farmers)
स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Clean Ganga) के महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि हमने पाया है कि गाद को खाद (Sludge to Fertilizer) की तरह माना जा सकता है.
अब गंगा गाद को रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) के विकल्प के रूप में तैयार करने पर विचार करते हुए और पिछले दो सप्ताह में इस पर कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है. गाद से तैयार खाद किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जाएगी. अशोक कुमार ने कहा कि यदि गाद में कुछ अन्य पोषक तत्व मिला दिए जाएं तो इससे रासायनिक उर्वरकों के समान लाभ कम हो सकते हैं. इससे जैविक खेती में भी मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि गाद से खाद बनाने के लिए कई कंपनियों से बातचीत चल रही है. किसान इसका उपयोग प्राकृतिक खाद (Natural Manure) के रूप में कर सकते हैं. इससे गंगा नदी में गाद की समस्या से निजात मिलेगी.
उन्होंने कहा कि अगर किसानों को यह खाद उचित मूल्य पर मिलेगी, तो वे रासायनिक खाद की जगह इसका इस्तेमाल करना पसंद करेंगे. यदि रासायनिक खादों का प्रयोग खेतों में कम होगा, तो गंगा नदी में रसायनों की मात्रा भी कम होगी और प्रदूषण का स्तर भी कम होगा.
बता दें कि गंगा नदी के किनारे के खेतों में रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है. बारिश के साथ ये रसायन गंगा नदी में मिल जाते हैं. रासायनिक उर्वरकों में शामिल फॉस्फेट और नाइट्रेट जल प्रदूषण के मुख्य कारक हैं.