भारत में मछली पालन का व्यवसाय काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस व्यवसाय से करोड़ों लोग अपनी आजीविका के लिए जुड़े हुए हैं और इससे काफी अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. इसी कड़ी में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर (Chandrashekhar Azad University of Agriculture and Technology, Kanpur) के इटावा परिसर स्थित मत्स्य प्रोद्यौगिकी महाविद्यालय एवं रिसर्च सेंटर की तरफ से एक अहम पहल की गई है.
दरअसल, मत्स्य महाविद्यालय की तरफ से रंगीन मछलियों पर शोध कार्य किए जा रहे हैं. इन रंगीन मछलियों के संवर्धन का प्रशिक्षण किसानों को भी दिया जाएगा. इससे किसान स्वावलंबी बन सकें, साथ ही उनकी आमदनी भी बढ़ पाएगी.
आपको बता दें कि बीते दिनों कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दौरा किया था. इसके बाद यह अहम फैसला लेकर महाविद्यालय के तालाबों में ऑर्नामेंटल फिश कल्चर का कार्य किया जा रहा है. वैसे कोरोना काल से ही विश्वविद्यालय द्वारा ऑर्नामेंटल फिश कल्चर की गतिविधियां चलाई जा रहीं हैं.
तालाब में हैं कई रंगीन मछलियां
मत्स्य महाविद्यालय के तालाब में लगभग 150 से 200 ग्राम तक की लाल, नीली, पीली, सफेद, हरी रंग की मछलियां विचरण करती देखी गई हैं. इन मछलियों में मुख्यत दो नस्लों की मछलियों का संवर्धन किया जा रहा है. इनमें से एक चाइनीज कोई कॉरप है, और दूसरी जपनीज कोई कॉरप प्रजाति की हैं. इनका प्रजनन जुलाई अगस्त में कराया गया था. इनके बच्चे भी दिखाई दे रहे हैं.
किसानों को जोड़ा जाएगा
कृषि मंत्री के निर्देश के बाद महाविद्यालय प्रशासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि इन मछलियों का प्रजनन वृहद स्केल पर कराया जाएगा. इसके साथ ही ऑर्नामेंटल फिश कल्चर को किसानों से जोड़ा जाएगा. इस पर स्टार्टअप के माध्यम से प्रोजेक्ट बनाने पर कार्य किया जा रहा है. इसके अलावा मत्स्य पुरुष एवं महिला किसानों को प्रशिक्षण देने का भी कार्य किया जाएगा.